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जींद में कानूनी जागरूकता एवं पारंपरिक व्यवसाय की विस्तार से जानकारी देने को लेकर हुआ सेमिनार का आयोजन

जींद में कानूनी जागरूकता एवं पारंपरिक व्यवसाय की विस्तार से जानकारी देने को लेकर हुआ सेमिनार का आयोजन
 
jind  सेमिनार का आयोजन

जींद में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए कानूनी जागरूकता एवं पारंपरिक व्यवसाय की विस्तार से जानकारी देने को लेकर स्थानीय एक निजी संस्थान के सभागार में सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ सलोचना कुंडू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

इस अवसर पर बैंक प्रतिनिधि विशाखा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पैनल के वकील देवराज मलिक ने सेमिनार में सैंकड़ों की संख्या में पंहुची स्वयं सहायता ग्रुप की महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों व बैंकों से मिलने वाली वित्तिय सहायता के बारे में विस्तार से जानकारी मुहैया करवाई। सेमिनार में सुपरवाईजर कमलेश देवी व विभाग के अन्य स्टाफ मौजूद रहा।
डीपीओ सुलोचना कुंडू ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, बस हमें जरूरत है इनको आत्मसात करने की। उन्होंने कहा कि महिलाओं में नवाचार के साथ-साथ हर पल कुछ नया सीखने की भावना का होना जरूरी है। उन्होंने आह्वान किया कि वे केवल महज अपने तक रोजगार पाने की न सोचकर अन्य को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करें।

इसके साथ ही अपने अंदर समाज और राष्ट्र सेवा की भावना रखें। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह के साथ जोड़ा गया है, जिससे वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके।

उन्होनें कहा कि सरकार का प्रयास है कि अधिक से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बने, इसी उद्देश्य की परिकल्पना को साकार करते हुए जिला की अनेकों महिलाएं सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं जैसे कृषि कार्यों के लिए ड्रोन का प्रशिक्षण, साबुन बनाना, सिलाई व कढ़ाई मशीन प्रशिक्षण, पशु पालन व्यवसाय, आचार बनाना, आटो रिक्शा चलाना, जैविक खेती जैसे व्यवसाय से जुड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही है।

उन्होंने बताया कि जिले में इस वक्त लगभग तीन हजार स्वयं सहायता गु्रप संचालित है, जिसके तहत जिला की लगभग 32 हजार महिलाएं जुड़ी हुई है। इन महिलाओं को सरकार द्वारा वित्तीय संस्थाओं से करोड़ों रूपए की धन राशि के ऋण मुहैया करवाकर उनको आत्म निर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
सीडीपीओ कांता यादव ने महिलाओं से आह्वान किया कि सभ्य समाज के निर्माण के लिए महिलाओं का आदर करना बहुत जरूरी है, महिलाओं के साथ अत्याचार करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गर्भवती महिला एवं बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं, योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पोषण युक्त भोजन गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए बहुत जरूरी है। इसके सेवन से कई प्रकार की बीमारियों जैसे एनीमिया, कुपोषण से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कई बार जागरूकता के अभाव में सही खानपान न लेने के कारण बच्चे, किशोरियां व महिलाएं कुपोषण का शिकार हो जाती हैं, अगर पोषक आहार के बारे में सही जानकारी हो तो इससे बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा समय-समय पर पोषण अभियान चलाया जाता है जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं, माताओं व बच्चों के जीवन में पौष्टिक भोजन कितना जरूरी है, इसके बारे में जानकारी दी जाती है। पौष्टिक आहार से मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से अपील की कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं व बेटियों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई है, इनका अधिक से अधिक लाभ लें।

उन्होने कहा कि वे आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य, हैल्दी डाइट, स्वच्छता, बच्चों के पालान पोषण बारे भी लगातार जागरुक किया जाता रहता है। विभाग द्वारा पोषण अभियान के तहत जन-जन को जागरूक करने के लिए भिन्न-भिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती है।
सेमिनार में वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी देते हुए संचालिका राजवंती ने कहा कि स्थानीय सिविल अस्पताल में वन स्टॉप सेंटर बनाया गया है, जहां पर पीड़ित महिलाओं को सुविधाएं प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 181 भी जारी किया गया है जिस पर महिला उत्पीडन के बारे में सूचना देकर सुविधाएं प्राप्त की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि योजना के तहत किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता, पुलिस सहायता, 5 दिन का अस्थाई आश्रय रहना व खाना आदि सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत घरेलू हिंसा, मारपीट, दुष्कर्म, लैंगिक उत्पीड़न, भावनात्मक उत्पीड़न, बाल विवाह, महिला तस्करी, दहेज उत्पीडन, एसिड अटैक, साइबर क्राइम, लावारिस महिलाएं आदि को शामिल किया गया है।