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दिल्ली के रजोकरी गांव में वन विभाग का बड़ा ऐक्शन ! 150 परिवारों को मिला नोटिस

यह मामला दिल्ली के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, जहां एक तरफ वन विभाग अवैध कब्जों को हटाने के लिए सख्त कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इन परिवारों के जीवन पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।
 
Delhi News

Delhi News: यह मामला दिल्ली के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, जहां एक तरफ वन विभाग अवैध कब्जों को हटाने के लिए सख्त कदम उठा रहा है, वहीं दूसरी तरफ इन परिवारों के जीवन पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

दिल्ली के रजोकरी गांव के रामदेव डेरा में रहने वाले 150 परिवारों को वन विभाग की ओर से घर हटाने और ध्वस्तीकरण का नोटिस भेजा गया है। इस नोटिस के बाद परिवारों में चिंता की लहर दौड़ गई है, क्योंकि वे पिछले तीन दशक से अधिक समय से यहां रह रहे हैं।  

एक नजर में 

लोकेशन: दिल्ली के रजोकरी गांव का रामदेव डेरा।
प्रभावित परिवार: 150 परिवार, जिनमें लगभग 500 लोग शामिल हैं।
सरकारी सुविधाएं: बिजली, सड़क, पानी जैसी सुविधाएं मिलती रही हैं।
ध्वस्तीकरण नोटिस: वन विभाग द्वारा अवैध कब्जा बताते हुए नोटिस जारी किया गया।
कानूनी स्थिति: परिवारों ने पटियाला हाउस कोर्ट में मामला दर्ज कराया है।

क्या है परिवारों का कहना?

रामदेव डेरा में रह रहे इन परिवारों का कहना है कि वे पिछले 30 वर्षों से इस स्थान पर रह रहे हैं और दिल्ली सरकार द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत ‘मेरा घर’ के रूप में चिह्नित भी किया गया है। उन्हें बिजली, पानी और सड़क जैसी सभी सरकारी सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं, जिसके कारण वे इस स्थान को वैध मानते हैं। अचानक से उन्हें अवैध कब्जेदार बताया जाना उनके लिए बेहद चौंकाने वाला है।

दिल्ली में लगातार हो रहा बुलडोजर ऐक्शन

दिल्ली में पिछले कुछ महीनों से लगातार अवैध कब्जों के खिलाफ बुलडोजर ऐक्शन चल रहा है। हाल ही में दक्षिणी दिल्ली के संजय वन इलाके में डीडीए द्वारा कई अवैध निर्माणों को तोड़ा गया था, जिसमें सदियों पुराने मदरसे और मस्जिद को भी ध्वस्त कर दिया गया था। अब रजोकरी गांव के रामदेव डेरा में भी वन विभाग की नजरें टिकी हैं, जहां 150 परिवारों को उनके घरों से बेदखल करने की तैयारी की जा रही है।

आगे की राह

रजोकरी गांव के परिवारों ने पटियाला हाउस कोर्ट में मामला दर्ज कराया है और वे अब कानूनी प्रक्रिया का सहारा ले रहे हैं। अब देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है और क्या इन परिवारों को अपने घरों में बने रहने का अधिकार मिलता है या नहीं।