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Delhi to Punjab Bullet Train: दिल्ली से पंजाब 350 की स्पीड से चलेगी बुलेट ट्रैन, हरियाणा समेत 10 स्टेशनों पर होगा ठहराव, देखें पूरा रूटमैप 

Bullet train Delhi to Punjab:रेलमार्ग पर कुल 10 स्टेशन, जिसमें दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, ब्यास और अमृतसर को शामिल किया गया है। इस रेलमार्ग पर रेल की रफ्तार लगभग 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
 
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India H1, Bullet train will run from Delhi to Punjab । दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर कॉरिडोर इनमें से एक प्राथमिक गलियारा है। इस परियोजना को लेकर डीपीआर तैयार करने, सर्वेक्षण, यातायात अध्ययन, सामाजिक प्रभाव अध्ययन व पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन का कार्य किया जा रहा है। इस कॉरिडोर में दिल्ली से अमृतसर को जोड़ने वाला एचएसआर कॉरिडोर लगभग 474.772 किलोमीटर लंबा है। 

 

सात हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना के तहत दिल्ली-अमृतसर रेल मार्ग पर 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से बुलेट ट्रेन की परियोजना पर विचार किया जा रहा है। बता दे की इसके तहत कुरुक्षेत्र के 30.9 किलोमीटर मार्ग पर 24 गांवों का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र आएगा। हरियाणा के लोगो के लिए बड़ी खुशखबरी है,

बता दे की नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड एनएचएसआरसीएल के अधिकारी शरीन वीरवार को कुरुक्षेत्र पहुंचे और इस परियोजना को लेकर अधिकारियों व संबंधित गांवों के लोगों के साथ इसे लेकर वार्तालाप की। उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत रेल मंत्रालय ने सात हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का काम नेशनल हाई स्पीड रेल काॅरपोरेशन लिमिटेड का सौंपा है।

 

उन्होंने कहा कि इस रेलमार्ग पर कुल 10 स्टेशन, जिसमें दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, ब्यास और अमृतसर को शामिल किया गया है। इस रेलमार्ग पर रेल की रफ्तार लगभग 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस रेल के संचालन की गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटा और औसत गति 250 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।

 

यह दिल्ली, हरियाणा व पंजाब तीन राज्यों को कवर करेगी। उन्होंने कहा कि जिले में सड़क के किनारे पौधरोपण में विलायती बबूल, करंज, शीशम, नीम और सफेदा के पेड़ मुख्य रूप से लगाए जाएंगे। इस मार्ग पर लाइन में आने वाले पेड़ों की संख्या लगभग 107 है। इस जिले में जंगली जानवरों में सामान्य प्रजातियां पाई जाती है, जो कृषि क्षेत्र में उपस्थित दर्ज करती है, जैसे कि लंगूर, नीलगाय, खरेगाश, नेवला, जंगली सूअर, गिलहरी आदि शामिल है। भारतीय मोर के अतिरिक्त परियोजना क्षेत्र में मौजूद कोई भी प्रजाति वन्य जीव संरक्षण नियम 1972 की प्रथम श्रेणी के अंतर्गत नहीं आती है।

उन्होंने बताया कि एचएसआर परियोजना की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएं और समाधान के सभी बिंदुओं को लेकर जिले के लोगों की राय ली गई है। पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार की गई है और निर्माण के दौरान इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना को ठेकेदारों के निविदा दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य की वन नीतियों के अनुपालन में वृक्षों के कटान के लिए प्रतिपूरक पौधरोपण किया जाएगा। इस रेल यातायात के अंतर्गत कुरुक्षेत्र जिले में 30.9 किलोमीटर मार्ग के लंबाई होगी और इस रेलमार्ग से 24 गांव प्रभावित होंगे। इन गांव का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र आएगा। इस मौके पर पर्यावरण सर्वेक्षण प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से डॉ. प्रतिभा सिंह, मयंक झा, संदीप सहित कुरुक्षेत्र के सभी ब्लॉकों के बीडीपीओ उपस्थित थे।