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लक्ष्य ट्रस्ट के सीईओ, लगाएंगे 1000 पौधे, पर्यावरण की रक्षा में पिता के नक्शे कदम पर बढ़ाए कदम
 

लक्ष्य ट्रस्ट के सीईओ, लगाएंगे 1000 पौधे, पर्यावरण की रक्षा में पिता के नक्शे कदम पर बढ़ाए कदम
 
 
लक्ष्य ग्रामीण विकास ट्रस्ट

 लक्ष्य ग्रामीण विकास ट्रस्ट के चेयरमैन बलजीत रेढू के पर्यावरण की रक्षा के मामले में उनके बेटे और लक्ष्य ग्रामीण विकास ट्रस्ट के सीईओ अंकित रेढू अपने पिता के नक्शे-कदम पर निकल पड़े हैं। अंकित रेढू ने अपनी धर्मपत्नी अपूर्वा और दोनों बेटियों आरभ्या और वेदा के साथ मिलकर 1000 पौधे लगाने की मुहिम अपने पैतृक गांव बोहतवाला की पावन धरती से सोमवार को शुरू की।


पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने की प्रेरणा अंकित रेढू को अपने पिता बलजीत रेढू से मिली, जिन्होंने बोहतवाला गांव की बणी को नया जीवन अपने प्रयासों से दिया है। बलजीत रेढू ने गांव की बणी में बड़ी संख्या में फलदार और छायादार पौधे लगवाए, जो अब पेड़ बन गए हैं।

इन पेड़ों के बीच लोगों के लिए बैठने की व्यवस्था की गई है। बोहतवाला गांव की बणी के इस तरह के कायाकल्प को देखते हुए जींद के वन विभाग ने भी 5 गांवों की बणी को नया जीवन देने की कयावद पिछले साल शुरू की।

गांव को 1000 पेड़ों से हरा-भरा बनाने का है अंकित का लक्ष्य


लक्ष्य ग्रामीण विकास ट्रस्ट के सीईओ अंकित रेढू का लक्ष्य अपने पैतृक गांव बोहतवाला में 1000 ऐसे पौधे लगाने का है, जिनकी उम्र सैंकड़ों साल हो। यह पौधे पेड़ बनाकर गांव को सदियों तक हरा-भरा रखेंगे। इन पौधों के पेड़ बनने से गांव का पर्यावरण और ज्यादा साफ होगा। अंकित रेढू विदेश में पढ़े हैं।

उन्हें इस बात का बेहतर पता है कि धरती पर जीवन के लिए अब पानी के साथ-साथ स्वच्छ पर्यावरण भी बेहद जरूरी है। पर्यावरण के साथ जिस तरह से छेड़छाड़ हो रही है, उसका मानव जीवन पर बेहद विपरीत असर पड़ रहा है। इसी विपरीत असर को रोकने और गांव की आबो-हवा को लोगों के सांस लेने के लिए साफ और स्वच्छ बनाने के लिए उन्होंने गांव में 1000 पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस लक्ष्य को अंकित रेढू इसी साल पूरा कर लेंगे। उनका कहना है कि उनके गांव को हरा-भरा और गांव के पर्यावरण को मानव जीवन के बेहद अनुकूल देखकर दूसरे गांवों के लोग भी अपने गांव को इसी तरह से हरा-भरा बनाने की प्रेरणा लेंगे।

अंकित रेढू यह भी कहते हैं कि उनके पिता बलजीत रेढू और गांव के दूसरे बुजुर्गों ने उन्हें बताया कि पहले सभी गांवों में बड़ी-बड़ी बणी होती थी, जिसमें हजारों की संख्या में छोटे-बड़े पेड़ होते थे। इससे गांव का वातावरण बेहद साफ और सुरक्षित रहता था। लोगों की उम्र बहुत लंबी थी। घरों से बाहर निकल कर लोग बणी में फुर्सत के पल बिताते थे। मवेशियों को भी बणी में पेड़ों की घनी और ठंडी छाया मिलती थी। विकास की भेंट यह सब चढ़ गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ हवा में सांस लेने का खतरा पैदा हो गया है। इस खतरे को दूर करने के लिए ही उन्होंने अपने गांव में 1000 पौधे इसी साल लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर पौधे लगाने की शुरूआत कर दी है। वह इन पौधों के पेड़ बनने तक इनकी हर तरह से देखभाल और सुरक्षा करेंगे।