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देवेंद्र बबली ने भरा नामांकन, सुभाष बराला की चुप्पी के बाद भाजपा में हलचल

टोहाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने शनिवार को चुनाव के लिए नामांकन भरा। इससे पहले उन्होंने एक विशाल सभा की, और फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ रोड शो करते हुए चुनाव कार्यालय पहुंचे। इस महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रम में एक प्रमुख नेता की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा—सुभाष बराला, राज्यसभा सांसद, जो न तो सभा में और न ही बबली के नामांकन के मौके पर मौजूद थे।
 
Haryana News

Haryana News:टोहाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी और पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने शनिवार को चुनाव के लिए नामांकन भरा। इससे पहले उन्होंने एक विशाल सभा की, और फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ रोड शो करते हुए चुनाव कार्यालय पहुंचे। इस महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रम में एक प्रमुख नेता की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा—सुभाष बराला, राज्यसभा सांसद, जो न तो सभा में और न ही बबली के नामांकन के मौके पर मौजूद थे।

देवेंद्र बबली का नामांकन न केवल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह टोहाना की राजनीति में भी एक बड़ा कदम है। सभा और रोड शो के दौरान पार्टी के अन्य नेताओं की मौजूदगी के बावजूद, सुभाष बराला का न आना राजनीतिक हलचलों को जन्म दे रहा है।

नामांकन प्रक्रिया के बाद, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, सुभाष बराला के आवास पर पहुंचे। इस मुलाकात के बाद, सुभाष बराला ने कार्यकर्ताओं से भाजपा को मजबूत करने की अपील की।

सीएम सैनी से मुलाकात के बाद, सुभाष बराला ने कार्यकर्ताओं से भाजपा के लिए काम करने की बात कही। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का उद्धरण देकर कार्यकर्ताओं को धैर्य बनाए रखने और पार्टी को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। बराला ने कहा कि कुछ लोग उन्हें उकसाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कार्यकर्ताओं ने धैर्य बनाए रखा और आगे भी धैर्य के साथ काम करना है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सुभाष बराला, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात के बाद, भाजपा के समर्थन में पूरी तरह से आ गए हैं? यह राजनीतिक स्थिति टोहाना में आने वाले चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती है।

देवेंद्र बबली का नामांकन और सुभाष बराला की अनुपस्थिति ने टोहाना में भाजपा की राजनीतिक स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, सीएम सैनी से मुलाकात के बाद बराला की प्रतिक्रिया और कार्यकर्ताओं को संदेश देने से भाजपा को एकजुट रखने की कोशिशें साफ दिख रही हैं।