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 देवेंद्र सहरावत:शिक्षा व संस्कार ही सफल व्यक्ति के जीवन का आधार  

Devendra Sehrawat: Education and values ​​are the basis of a successful person's life.
 
JIND

जींद: नेशनल स्कूल बागडू खुर्द में शनिवार को वार्षिक उत्सव का आयोजन किया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर समाजसेवी एवं युवा कांग्रेसी नेता देवेंद्र सहरावत ने शिरकत की । कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल संचालक महीपाल व सोनू चहल ने की। कार्यक्रम में रोहताश चहल ( सरस्वती स्कूल बागड़ू खुर्द ),नरेश बराड़ ( पायनियर स्कूल सफीदों ),राजिंद्र लाम्बा ( होली चाइल्ड स्कूल ),गुलाब सिंह ( गुरु गोबिंद स्कूल,सफीदों ),विजय भारद्वाज ( जे डी इंटरनेशनल स्कूल ), हवा सिंह सफीदों ( प्राइवेट स्कूल संघ प्रधान ) समाजसेवी देवेंद्र सहरावत ने गुरु गोविंद सिंह स्कूल के संचालक गुलाब सिंह किरोड़ीवाल का शाल देकर सम्मान किया।

कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति व हरियाणवी गीतों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करके समां बांध दिया। बाद में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को ट्राफी देकर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। 

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए देवेंद्र सहरावत ने कहा कि शिक्षा ही जीवन का आधार है और बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन अर्थ हीन व दिशाहीन हो जाता है। एक सफल में जीवन में शिक्षा का विशेष महत्व होता है। शिक्षा जीवन का आधार होती है और शिक्षा से ही मनुष्य अपने जीवन मे अग्रसर होता है, सही गलत में अंतर कर सकते हैं।

अगर बच्चों को उच्च एवं संस्कारित शिक्षा दी जाए तो बच्चा आगे चल कर अपने परिवार के साथ साथ देश एवं राष्ट्र हित में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। शिक्षा के बल पर ही बच्चे आगे बढ़ सकते हैं और देश को विकास के रास्ते तक ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार होना भी जरूरी हैं। शिक्षा और संस्कार एक दूसरे से जुड़े हुए है।

शिक्षा मनुष्य के जीवन का अनमोल उपहार है,जो व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है। वहीं संस्कार जीवन का सार है जिसके माध्यम से मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण और विकास होता है। 

उन्होंने कहा कि समाज के बदलाव के लिए व्यक्ति में अच्छे गुणों की आवश्यकता होती है और उसकी नींव हमें हमारे बच्चों के बाल्यावस्था में ही रखनी पड़ती है। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का पूर्ण और संतुलित विकास करती है। अगर हम अपने बच्चों में भारतीय संस्कृति,भारतीय परम्पराएं,भाईचारा,एकता आदि का बीजारोपण करते है तो उसमें खुद व खुद के संस्कार आ जाते है,जिसकी जिम्मेदारी माता-पिता,परिवार और शिक्षक की होती है। इस दौरान छात्र- छात्राएं झूम कर नाचे और सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ उठाया।