कर लें यह काम ! सरकार दे रही बम्पर सब्सिडी, बरसेगा पैसा , हो जाओगे निहाल
Fisheries: हिमाचल प्रदेश में बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार के रूप में मत्स्य पालन एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत कर रहा है। प्रदेश सरकार की योजनाओं और प्रोत्साहनों के माध्यम से अब युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागने की बजाय मत्स्य पालन से अपनी आजीविका चला सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में 20,000 से अधिक परिवार जलाशयों, नदियों, और तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं। जनवरी 2023 से जून 2024 के बीच 682 युवाओं को मत्स्य विभाग द्वारा स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे प्रदेश में 21,022.62 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन हो चुका है।
प्रदेश सरकार मत्स्य क्षेत्र में 22 करोड़ 66 लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च कर रही है। इसके तहत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निम्नलिखित योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है:
258 ट्राउट यूनिट्स: नई इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं।
20 मत्स्य कियोस्क: ग्रामीण क्षेत्रों में मछली बिक्री के लिए।
बायोफ्लॉक यूनिट्स: 47 नए बायोफ्लॉक यूनिट्स बनाए गए हैं।
कोल्ड स्टोरेज: दो कोल्ड स्टोर और बर्फ के कारखाने स्थापित किए गए हैं।
जलीय कृषि प्रणाली: चार पुनः जलीय कृषि प्रणाली शुरू की गई है।
मछुआरों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
जीवन सुरक्षा निधि: स्थायी दिव्यांगता के मामलों में 5 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है।
आपदा कोष योजना: प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित मछुआरों को उपकरण नुकसान की भरपाई के लिए 50% तक की वित्तीय सहायता।
रिस्क फंड योजना: 94 मछुआरों को 3 लाख 43 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई है।
मत्स्य आखेट बंद सीजन: इस दौरान मछुआरों को आजीविका और पोषण सहायता के रूप में 4500 रुपये प्रति परिवार दिए जाते हैं।
मत्स्य पालन में यह प्रगति न केवल युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान कर रही है बल्कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त बना रही है। हिमाचल प्रदेश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की यह पहल युवाओं के लिए एक नई दिशा खोल रही है।