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हरियाणा में चुनावी सरगर्मियां हुई तेज, चुनाव से पहले 21 अगस्त से कांग्रेस करेगी निर्णायक अभियान शुरू

हरियाणा में चुनावी सरगर्मियां हुई तेज, चुनाव से पहले 21 अगस्त से कांग्रेस करेगी निर्णायक अभियान शुरू
 
चुनावी सरगर्मियां हुई तेज

हरियाणा प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है। सभी पार्टियों ने चुनाव में बाजी करने हेतु अपने-अपने तीर चलाने शुरू कर दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने भी चुनावी मैदान में चुनावी के बीसात बिछानी शुरू कर दी है।

हरियाणा में प्रदेश के लिए घोषणा पत्र तैयार करने से पहले 'हरियाणा मांगे हिसाब' पदयात्रा के मार्फत सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा जहां हर विधानसभा में जाकर जनता-जनार्दन से सुझाव मांगने के साथ-साथ प्रदेश सरकार पर सवाल दाग रहे है, वहीं इस अभियान के बाद नेता प्रतिपक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा 21 अगस्त से हर विधानसभा को नापेगें।

जूनियर हुड्डा के बाद सीनियर हुड्डा के इस अभियान को विधानसभा चुनाव की बड़ी रणनीति माना जा रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव की जंग से पहले जनता- जनार्दन के जहन-जहन में जमने के लिए यह हरियाणा कांग्र प्रेस का निर्णायक अभियान होगा। 

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष हर विधानसभा चुनाव में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर से पार्टी प्रत्याशियों के चेहरे का भी ऐलान करते हुए नजर आ सकते है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश गोयत ने बताया कि सांसद दीपेंद्र हुड्डा की पदयात्रा जो 20 अगस्त को समाप्त होने जा रही है, उसके बाद भी कांग्रेस का सियासी सफर पूरे यौवन पर बरकरार नजर आएगा।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान सिंह प्रत्येक विधानसभा में पहुंचेगें। ऐसे में माना जा रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस के शीर्ष नेता प्रदेश के अंदर अपना रंग जमाने के लिए
पूरी तरह से मैदान में जम चुके है। 
बुधवार को सांसद दीपेंद्र हुड्डा अतीत में बड़ा आंदोलन करने वाले किसानों के साथ राहुल गांधी से मिले। इस दौरान किसानों के हितो से जुड़े मसलो पर गहन बातचीत हुई। दरअसल, कांग्रेस और जनता जनार्दन के बीच सांसद दीपेंद्र हुड्डा एक सेतू का काम कर रहे है।

 यहीं कारण है कि पिछले 1 वर्ष के दौरान कांग्रेस में शामिल होने वाले विरोधी पार्टियों के नेताओं ने जूनियर हुड्डा के मार्फत ही हाथ का साथ पकड़ा। आमजन में दीपेंद्र हुड्डा की पकड़ को भांपकर ही कांग्रेस आला ने उनको हरियाणा की पदयात्रा का जिम्मा सौंपा। हरियाणा का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यात्राओं ने कई बार प्रदेश की सियासत में बड़े फेरबदल किए हैं।

कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह ह हुड्डा ने चंडीगढ़ तक यात्रा निकाली थी। बेशक ताऊ देवीलाल को बार-बार चुनाव हराने के बाद हुड्डा, पहले ही प्रदेश के बड़े चेहरे बन गए थे। 

लेकिन उस यात्रा ने हुड्डा को कांग्रेस में र सीएम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अब लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी कामयाबी के बाद प्रदेश
में बने कांग्रेस के मोमेंटम को बनाए रखने के लिए दीपेंद्र हुड्डा ने भी यात्रा की रणनीति को अपनाया है।

उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री के निर्वाचन करनाल से क्षेत्र से यात्रा की शुरुआत की थी, जो अब 13 विधानसभा में पहुंच चुकी है। पदयात्रा के दौरान अपने पीछे चल रही हजारों की भीड़ के काफिले से बाहर निकलकर दीपेंद्र कभी दुकानदारों और व्यापारियों के बीच पहुंच जाते हैं तो कभी रेहड़ी वालों के पास।

जो पार्टी से छोड़ गये थे, उनके बीच पहुंच रहे दीपेंद्र

दीपेंद्र की यात्रा भीड़ के लिहाज से असर छोड़ ही रही है, साथ ही ये उन तबको के भीतर फिर से कांग्रेस को लेकर जा रही है, जो पार्टी से छिटक गए थे। महिलाओं, एससी, ओबीसी, कच्ची कॉलोनियों के बाशिंदों और गरीब कामगारों को तमाम पार्टियां वोट के लिए साधना चाहती हैं। लेकिन उनसे पर्सनल संवाद स्थापित करना, दीपेंद्र के अभियान को नया रूप देता है। प्रवासी और पुर्वांचली कॉलोनी में दीपेंद्र हुड्डा की हाजिरी भी पूरी तरह से नई पहल है। पुर्वांचलियों के बीच जब दीपेंद्र हुड्डा गए तो वहां के लोगों के अलग ही उमंग देखने को मिली। उन्होंने पहली बार हरियाणा के किसी बड़े नेता को अपने बीच पाया था।