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सरकार लाई नस्ल वृद्धि फार्म योजना, जानें इसकी डीटेल में जानकारी 

योजना के तहत उद्यमियों को पूंजीगत लागत पर सब्सिडी मिलती है, जिससे प्रारंभिक निवेश का बोझ कम होता है। उद्यमियों को प्रशिक्षण प्राप्त करना या प्रशिक्षित विशेषज्ञों को नियुक्त करना होता है। इस योजना के तहत नए फार्म की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

 
Breed Enhancement Farm Scheme

Breed Enhancement Farm Scheme: नस्ल वृद्धि फार्म योजना का उद्देश्य देश में पशुधन सुधार और उत्पादन क्षमता बढ़ाना है। इस योजना के तहत निम्नलिखित सुविधाएं और लाभ प्रदान किए जाते हैं:

पूंजीगत लागत पर सब्सिडी: निजी उद्यमियों को फार्म की स्थापना में भूमि लागत को छोड़कर 50% सब्सिडी दी जाती है। प्रति फार्म 2 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है।

उपयोग की जाने वाली राशि: सब्सिडी का उपयोग गोपशु शेडों, उपकरणों और उच्च नस्ल की बुल मदर्स की खरीद के लिए किया जा सकता है।

पात्रता: इस योजना के तहत निजी व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, किसान उत्पादक संगठन (FPO), किसान सहकारी समितियां (FCO), संयुक्त देयता समूह (JLG) और धारा 8 की कंपनियां आवेदन कर सकती हैं।

2023 की समीक्षा: पिछले साल की वार्षिक समीक्षा के अनुसार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत विभिन्न कार्यक्रमों ने पशुपालन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।

कृत्रिम गर्भाधान: अब तक 6.21 करोड़ पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में शामिल किया गया है।

पशुधन के लिए नई तकनीकें: आईवीएफ टेक्नोलॉजी, डीएनए आधारित जीनोमिक चयन, वंश परीक्षण और नस्ल चयन जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

योजना के लाभ

योजना के तहत उद्यमियों को पूंजीगत लागत पर सब्सिडी मिलती है, जिससे प्रारंभिक निवेश का बोझ कम होता है। उद्यमियों को प्रशिक्षण प्राप्त करना या प्रशिक्षित विशेषज्ञों को नियुक्त करना होता है। इस योजना के तहत नए फार्म की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

आवेदन प्रक्रिया

योजना के लिए पात्रता की जांच करें और सुनिश्चित करें कि आप सभी आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हैं।
आवेदन पत्र भरें और आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ सबमिट करें।
सब्सिडी की स्वीकृति के बाद, फार्म की स्थापना करें और योजना के लाभ उठाएं।

नस्ल वृद्धि फार्म योजना पशुपालन में निवेश करने वाले उद्यमियों के लिए एक शानदार अवसर है। यह योजना न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करती है बल्कि पशुधन के सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।