खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों पर सरकार का सख्त रुख! कंपनियों को जारी किया नोटिस
Mustard Oil Price: त्योहारी सीजन से पहले खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी पर केंद्र सरकार ने संबंधित तेल कंपनियों से जवाब तलब किया है। कम आयात शुल्क के बावजूद कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिस पर सरकार ने सख्ती दिखाई है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और तेल कंपनियों को क्या निर्देश दिए गए हैं।
आयात शुल्क में बदलाव
सरकार ने घरेलू तिलहन की कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि की है। इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में तिलहन उत्पादकों को बढ़ावा देना है।
तेल प्रकार पुराना सीमा शुल्क नया सीमा शुल्क
कच्चा सोयाबीन तेल 0% 20%
कच्चा पाम तेल 0% 20%
कच्चा सूरजमुखी तेल 0% 20%
रिफाइंड पाम तेल 12.5% 32.5%
रिफाइंड सूरजमुखी तेल 12.5% 32.5%
रिफाइंड सोयाबीन तेल 12.5% 32.5%
इस वृद्धि के बाद खाद्य तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5% हो गया है, जबकि रिफाइंड तेलों पर 35.75% हो गया है। यह नया शुल्क 14 सितंबर, 2024 से लागू किया गया है।
कंपनियों को सरकार का निर्देश
खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA), और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (SOPA) के साथ बैठक की।
बैठक में खाद्य मंत्रालय ने कहा कंपनियां 45-50 दिनों के स्टॉक की उपलब्धता को देखते हुए कीमतों में वृद्धि न करें। त्योहारों के दौरान कीमतें स्थिर रखें। खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आयातित तेलों के स्टॉक का सही उपयोग करें।
स्टॉक और मांग का गणित
भारत अपनी खाद्य तेल की आवश्यकताओं का 50% से अधिक आयात पर निर्भर है। वर्तमान में 30 लाख टन आयातित खाद्य तेल का स्टॉक है, जो 45-50 दिनों तक घरेलू खपत को पूरा कर सकता है।