हरियाणा के सभी सरकारी अस्पतालों में आज स्वास्थ्य सुविधाएं रहेंगी ठप, डॉक्टर्स ने आपातकालीन सेवा देने से भी किया मना
हरियाणा के सभी सरकारी अस्पतालों में आज स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से ठप रहेंगी। अस्पताल में रोगियों को आपातकालीन सुविधा का भी लाभ नहीं मिलेगा, वहीं डॉक्टर पोस्टमार्टम डयूटी भी नहीं करेंगे। यह फैसला हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसिस एसोसिएशन (एचसीएमएस) के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ लिया है।
क्योंकि पिछले कई दिनों से एसोसिएशन अपनी मानी गई मांगों पर अधूिसचना जारी करवाने के लिए संघर्ष कर रही है। जिसे लेकर एसोसिएशन ने सरकार को 24 जुलाई तक का समय देते हुए कहा था कि अगर तय समय तक मानी गई मांगों पर अधूिसचना जारी नहीं हुई तो 25 जुलाई सुबह 08 बजे से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे।
लिहाजा सरकार द्वारा एसोसिएशन की मांगों पर अधिसूचना जारी न होने से डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय कर लिया है। इसके तहत आज सुबह 08 बजे से सरकारी अस्पतालों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि 25 जुलाई को एसीएस ने भी एसोसिएशन को दोपहर 12 बजे बैठक के लिए बुलाया है ताकि उनकी मांगों को लेकर बातचीत की जा सके। लंबे समय से डॉक्टर कर रहे संघर्ष
बैठक में हुई मांगों पर विस्तार से चर्चा
डॉ. राजेश ख्यालिया का कहना है कि 18 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल के साथ एसोसिएशन की बैठक हुई। सभी मांगों पर विस्तार से चर्चा हुई। एसीएस ने 4, 9 व 13 साल की सेवा पर एसीपी की अधिसूचना प्राप्त करने का आश्वासन दिया (वर्तमान में एसीपी 5,10, 15 साल पर दिया जाता है) और पोस्ट ये ग्रेजुएशन के लिए बॉन्ड राशि को घटाकर 50 लाख कर दिया। जिसे 25 जुलाई से पहले अधिसूचित किया जाएगा।
इस बात पर भी सहमति बनी कि सीधी एसएमओ भर्ती नहीं की जाएगी और सीधे एसएमओ के लिए आरक्षित पदों को सेवा नियमों में एक बार छूट लेकर पदोन्नति के माध्यम से भरा जाएगा। 25 जुलाई से पहले उचित प्राधिकारी से इसके लिए अनुमोदन लिया जाएगा।
डॉक्टरों के लिए वाहन भत्ता 500 प्रति माह से बढ़ाकर 3000 प्रति माह किया जाएगा। इसके लिए 25 जुलाई से पहले उचित प्राधिकारी से मंजूरी भी ले ली जाएगी। एसोसिएशन को उम्मीद थी कि 25 जुलाई से पहले सभी मुद्दे सुलझ जाएंगे। लेकिन अभी तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। जिसके चलते डॉक्टरों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।