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हरियाणा में मध्याह्न भोजन योजना का कम बजट होने के कारण आ रही है दिक्कत

Mid-day meal scheme in Haryana is facing problems due to low budget.
 
भोजन योजना

 स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले पहली से आठवीं के बच्चों को मध्याह्न के समय भोजन दिया जाता है। सरकार की इस योजना का उद्देश्य है कि भोजन में सभी तरह के पोषक तत्व विद्यार्थियों को मिले, ताकि वह शारीरिक व मानसिक रुप से फिट रह सके। सरकार की यह योजना बेहतर है, लेकिन इसमें प्रति विद्यार्थी दी जाने वाली राशि या फिर भोजन सामग्री काफी कम है। इससे स्कूलों में अध्यापकों को काम चलाना मुश्किल होता है।
 इस भोजन सामग्री के लिए स्कूलों में विभाग द्वारा प्राइमरी व बाल वाटिका के लिए 5 रुपये 45 पैसे प्रति बच्चा और अपर प्राइमरी के लिए 8.17 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से राशि प्रदान की जाती है। इसी राशि में बच्चे को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन दिया जाना होता है। यह राशि एक बच्चे को भोजन करवाने के लिए बेहद ही कम है। इतनी कम राशि से किसी भी सूरत में खाना तैयार नहीं हो सकता। इसके बावजूद भी स्कूलों में इसी राशि से काम चलाया जा रहा है। प्रति बच्चे की इतनी कम राशि में शिक्षा विभाग की तरफ  से प्रतिदिन अलग-अलग भोजन बनाने के लिए चार्ट दिया हुआ है। उसी के अनुसार ही प्रतिदिन बाल वाटिका, प्राइमरी व अपर प्राइमरी में मिड-डे-मिल बनाना होता है। स्कूलों में योजना के मुताबिक राशन नहीं बन पाता। 

कई बार बजट की आती है दिक्कत

स्कूलों में खाना बनाने के लिए मिड-डे-मिल वर्कर लगाई हुई है। पिछले साल इनके वेतन व अन्य भत्तों को लेकर भी दिक्कत आई थी। इसके चलते कई दिनों तक आंदोलन भी किया था। इसके अलावा विभाग द्वारा बजट भी काफी लेट जारी किया था। 

प्राइमरी व अपर प्राइमरी के लिए दिन अनुसार मिड-डे-मिल
सोमवार को पुलाव के साथ काला चना, पौष्टिक खिचड़ी, दाल के साथ चावल, मंगलवार को रोटी, घीया, चना दाल, मीठा दलिया, मूंग मसुर की दाल,  बुधवार को राजमा चावल, पुड़ी, सफेद चना, मिस्सी रोटी व सीजनल सब्जी, वीरवार को कड़ी पकोड़ा, चावल, रागी खिचड़ी, मीठे चावल,
शुक्रवार को हलवा, काला चना, बेसन पुड़ा, नमकीन दलिया व शनिवार को परांठा व दही और गुलगुले विद्यार्थियों को दिए जाते हैं।
 
विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को फिट रखने के लिए सरकार ने मध्याहन भोजन योजना शुरू की है। इसमें पोषक तत्वों से भरपूर खाना विद्यार्थियों को स्कूल में ही दिया जाता है। दोपहर के भोजन में हर दिन अलग-अलग खाद्य सामग्री दी जाती है। इस भोजन को बच्चों को खिलाने से पहले स्कूल अध्यापकों द्वारा जांचा जाता है। 
 सुमित्रा देवी जिला शिक्षा अधिकारी जींद।