Dera Jagmalwali Update: खत्म हुआ डेरा जगमालवाली विवाद...जानें किसे मिली डेरे की कमान...ये था लाल डायरी का पूरा सच
डेरा की परम्परा के तहत गद्दी सौंपने सम्बन्धी काम किया है. डेरे का कामकाज सामान्य रूप से चले इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी था. साध-संगत के मन अनेक लोगों ने कईं अफवाहें फैला दी और कई सवाल पैदा कर दिए है.
Aug 10, 2024, 18:28 IST
Sirsa Dera News: हरियाणा के सिरसा में कलावली डेरा मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम जगमलवाली को लेकर विवाद लगभग खत्म हो गया है। डेरा प्रबंधन समिति और शिकायत समिति की बैठक के बाद विवाद को शांत किया गया। बैठक में, महाराज बहादुर चंद वकील साहब की मृत्यु के बाद डेरा की गद्दी सौंपने की परंपरा का पालन करने पर चर्चा हुई और पुजारियों और न्यासियों ने निर्णय लिया कि संत वकील साहब की इच्छा के अनुसार महाराज के आदेश का पालन करने के लिए सिंहासन वीरेंद्र को सौंप दिया जाए।
वकील साहिब का निधन हाल ही में हुआ था.
बैठक में संत वकील साहब के भाई शंकर लाल ने कहा कि डेरे की परम्परा में गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जा सकता और संत वकील साहब के हुक्मानुसार डेरे की गद्दी सौपने की पालना की गई है. भतीजे विष्णु ने कहा कि हर डेरे की अपनी परम्पराएं होती है और हमारी भी अपनी परम्पराए है और उन्हीं परम्पराओं का निर्वहन किया गया है. महात्मा वीरेंद्र को मैनेजमेंट के आग्रह और परम्पराओं के अनुसार उन्हें पगड़ी पहनाई गयी.
डेरा की परम्परा के तहत गद्दी
बैठक में महात्मा वीरेंद्र ने कहा कि मैनेजमेंट कमेटी ने डेरा की परम्परा के तहत गद्दी सौंपने सम्बन्धी काम किया है. डेरे का कामकाज सामान्य रूप से चले इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी था. साध-संगत के मन अनेक लोगों ने कईं अफवाहें फैला दी और कई सवाल पैदा कर दिए है. डेरे के लिए सबसे बड़ी ताक़त उनकी संगत है और डेरा में सेवा और सिमरन जारी रहेगा. वे पहले की तरह ही डेरे में अपनी सेवाएं देते रहेंगे.
महात्मा वीरेंद्र शुक्रवार को ही डेरे में पहुंचे तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हो गए और महात्मा बीरेंदर से मिलने पहुँचने लगे और देर शाम तक डेरे में संगत से मिलने का सिलसिला चलता रहा. फिलहाल, अब इस विवाद को विराम लग गया है लेकिन जिला पुलिस अब भी सतर्क है.
कैसे खत्म हुआ पूरा विवाद?
वकील साहब की लाल डायरी ने इस विवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी वसीयत के बारे में सब कुछ इस डायरी में लिखा गया था। डायरी में ही कहा गया था कि विरेंद्र को सिंहासन सौंप दिया गया था और डायरी सामने आने के बाद पूरा मामला साफ हो गया और अब विवाद भी खत्म हो गया है।
वकील साहिब का निधन हाल ही में हुआ था.
बैठक में संत वकील साहब के भाई शंकर लाल ने कहा कि डेरे की परम्परा में गद्दी को खाली नहीं छोड़ा जा सकता और संत वकील साहब के हुक्मानुसार डेरे की गद्दी सौपने की पालना की गई है. भतीजे विष्णु ने कहा कि हर डेरे की अपनी परम्पराएं होती है और हमारी भी अपनी परम्पराए है और उन्हीं परम्पराओं का निर्वहन किया गया है. महात्मा वीरेंद्र को मैनेजमेंट के आग्रह और परम्पराओं के अनुसार उन्हें पगड़ी पहनाई गयी.
डेरा की परम्परा के तहत गद्दी
बैठक में महात्मा वीरेंद्र ने कहा कि मैनेजमेंट कमेटी ने डेरा की परम्परा के तहत गद्दी सौंपने सम्बन्धी काम किया है. डेरे का कामकाज सामान्य रूप से चले इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी था. साध-संगत के मन अनेक लोगों ने कईं अफवाहें फैला दी और कई सवाल पैदा कर दिए है. डेरे के लिए सबसे बड़ी ताक़त उनकी संगत है और डेरा में सेवा और सिमरन जारी रहेगा. वे पहले की तरह ही डेरे में अपनी सेवाएं देते रहेंगे.
महात्मा वीरेंद्र शुक्रवार को ही डेरे में पहुंचे तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हो गए और महात्मा बीरेंदर से मिलने पहुँचने लगे और देर शाम तक डेरे में संगत से मिलने का सिलसिला चलता रहा. फिलहाल, अब इस विवाद को विराम लग गया है लेकिन जिला पुलिस अब भी सतर्क है.
कैसे खत्म हुआ पूरा विवाद?
वकील साहब की लाल डायरी ने इस विवाद को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी वसीयत के बारे में सब कुछ इस डायरी में लिखा गया था। डायरी में ही कहा गया था कि विरेंद्र को सिंहासन सौंप दिया गया था और डायरी सामने आने के बाद पूरा मामला साफ हो गया और अब विवाद भी खत्म हो गया है।