Rajasthan Breaking: जयपुर में जलदाय विभाग का निजीकरण ! क्या है पूरी खबर?
Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार जलदाय विभाग के निजीकरण की योजना बना रही है। इसके तहत, प्रदेश में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। राज्य सरकार ने इसके लिए राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (RWSSC) का नया गठन करने का प्रस्ताव किया है। इस नए तंत्र के तहत निजी कंपनियां पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था संभालेंगी। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने इस संबंध में शुक्रवार को RWSSC बोर्ड की बैठक की और योजना आयोग, वित्त विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों से चर्चा की।
निजीकरण का विरोध
हालांकि, इंजीनियर्स और PHED कर्मचारी संगठन इस निजीकरण के खिलाफ हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर जलदाय मंत्री को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है और निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि निजीकरण से पेयजल आपूर्ति प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और सरकारी कर्मचारियों की नौकरी पर भी खतरा मंडरा सकता है।
वर्तमान स्थिति
राजस्थान में पेयजल की स्थिति चिंताजनक है। पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में गांव और ढाणियों की दूरी कई किलोमीटर तक हो सकती है, जिससे पानी की आपूर्ति में कठिनाइयां होती हैं। कई शहरों और कस्बों में पेयजल की सप्लाई पांच से सात दिनों में होती है। पाली जैसे शहरों में गर्मियों के दौरान पानी की कमी को पूरा करने के लिए वाटर ट्रेन का सहारा लिया जाता है।
जलदाय विभाग की चुनौतियाँ
राजस्थान में जलदाय विभाग की मौजूदा व्यवस्था कमजोर है, जिसके कारण गर्मियों और सर्दियों में पेयजल की कमी बनी रहती है। सूखे के कारण बांध और जलाशय पूरे नहीं भर पाते, और पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर्स की व्यवस्था की जाती है। कुछ इलाकों में महिलाएं पानी लाने के लिए दूर-दूर तक जाती हैं। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने हाल ही में कहा था कि वह पानी की समस्याओं को हल करने के लिए एक 'हनुमान' नहीं हैं जो एक झटके में समस्या का समाधान कर सकें।
राजस्थान में जलदाय विभाग के निजीकरण की योजना से प्रदेश की पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में बड़ा बदलाव हो सकता है। हालांकि, इस पर विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ मिली हैं, जिसमें निजीकरण के खिलाफ विरोध और संभावित सुधारों की बात शामिल है। आगामी दिनों में इस मामले पर और चर्चा होगी और इससे जुड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं।