Rajasthan News: 17 जिलों को लेकर 30 अगस्त को होगा बड़ा ऐलान ! पढिए पूरी खबर
राजस्थान में नए जिलों का गठन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक कदम है, जिसे लेकर राज्य सरकार और जनता के बीच भारी उत्सुकता बनी हुई है। 30 अगस्त को इस पर बड़ा ऐलान होने की संभावना है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया है, जिसे पूर्व आईएएस ललित के. पंवार की अध्यक्षता में समीक्षा के लिए एक विशेष कमेटी का सहयोग भी मिला है।
Aug 25, 2024, 17:43 IST
Rajasthan News: राजस्थान में नए जिलों का गठन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक कदम है, जिसे लेकर राज्य सरकार और जनता के बीच भारी उत्सुकता बनी हुई है। 30 अगस्त को इस पर बड़ा ऐलान होने की संभावना है। राज्य सरकार ने इस संबंध में एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया है, जिसे पूर्व आईएएस ललित के. पंवार की अध्यक्षता में समीक्षा के लिए एक विशेष कमेटी का सहयोग भी मिला है।
राज्य में 17 नए जिलों का गठन पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में किया गया था, जिसमें जयपुर और जोधपुर जैसे बड़े शहरों को विभाजित करके छोटे जिलों का निर्माण किया गया। हालांकि, इस फैसले पर भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था, उनका कहना था कि यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया था और कई जिलों का गठन भूगोलिक दृष्टि से उचित नहीं था।
डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडलीय उप समिति ने नए जिलों की समीक्षा के लिए काम किया है। इस समिति की रिपोर्ट तैयार हो गई है, जिसे 30 अगस्त को सरकार को सौंपा जाएगा। 31 अगस्त को राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी कि नए जिलों का अस्तित्व बरकरार रहेगा या उन्हें समाप्त कर दिया जाएगा।
राजस्थान के लोग और राजनीतिक विश्लेषक इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। नए जिलों का गठन राज्य की प्रशासनिक दक्षता में सुधार लाने के लिए किया गया था, लेकिन इन जिलों की व्यवहारिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं। यदि नए जिलों का अस्तित्व बरकरार रहता है, तो यह राज्य में प्रशासनिक सुधार का एक बड़ा कदम होगा, जबकि उनके समाप्त होने की स्थिति में राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।
राजस्थान के 17 नए जिलों का भविष्य राज्य की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। 30 अगस्त को होने वाला ऐलान न केवल इन जिलों के भविष्य का निर्धारण करेगा, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा भी तय करेगा।
राज्य में 17 नए जिलों का गठन पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में किया गया था, जिसमें जयपुर और जोधपुर जैसे बड़े शहरों को विभाजित करके छोटे जिलों का निर्माण किया गया। हालांकि, इस फैसले पर भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था, उनका कहना था कि यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया था और कई जिलों का गठन भूगोलिक दृष्टि से उचित नहीं था।
डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडलीय उप समिति ने नए जिलों की समीक्षा के लिए काम किया है। इस समिति की रिपोर्ट तैयार हो गई है, जिसे 30 अगस्त को सरकार को सौंपा जाएगा। 31 अगस्त को राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी कि नए जिलों का अस्तित्व बरकरार रहेगा या उन्हें समाप्त कर दिया जाएगा।
राजस्थान के लोग और राजनीतिक विश्लेषक इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। नए जिलों का गठन राज्य की प्रशासनिक दक्षता में सुधार लाने के लिए किया गया था, लेकिन इन जिलों की व्यवहारिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं। यदि नए जिलों का अस्तित्व बरकरार रहता है, तो यह राज्य में प्रशासनिक सुधार का एक बड़ा कदम होगा, जबकि उनके समाप्त होने की स्थिति में राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।
राजस्थान के 17 नए जिलों का भविष्य राज्य की राजनीति और प्रशासनिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। 30 अगस्त को होने वाला ऐलान न केवल इन जिलों के भविष्य का निर्धारण करेगा, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा भी तय करेगा।