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Rajasthan News: राजस्थान में विकास कार्यों में 25% एम-सेंड का उपयोग अनिवार्य

राजस्थान में अब विकास कार्यों में बजरी के साथ कम से कम 25 प्रतिशत एम-सेंड (स्टोन डस्ट) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। नगरीय विकास विभाग ने सभी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, और आवासन मण्डल को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। बजरी खनन में आ रही रुकावटों के कारण इसके विकल्प के रूप में एम-सेंड को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
 
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Rajasthan News: राजस्थान में अब विकास कार्यों में बजरी के साथ कम से कम 25 प्रतिशत एम-सेंड (स्टोन डस्ट) का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है। नगरीय विकास विभाग ने सभी विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, और आवासन मण्डल को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। बजरी खनन में आ रही रुकावटों के कारण इसके विकल्प के रूप में एम-सेंड को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

कर्नाटक, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में एम-सेंड का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। राजस्थान में बजरी खनन की कानूनी लीज की कमी के कारण एम-सेंड को अपनाने की प्रक्रिया तेज की जा रही है।

हालांकि, एम-सेंड के नाम पर डस्ट (धूल) का अवैध रूप से उपयोग भी हो रहा है, जिससे कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। सरकार ने इस दिशा में भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत महसूस की है, ताकि निर्माण कार्यों में मानक गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।

राजस्थान में टोंक और बीसलपुर बांध के अलावा बजरी की वैध लीज उपलब्ध नहीं है। कई जगह अवैध बजरी खनन हो रहा है, जिससे निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।

एम-सेंड के वैध प्लांटों के साथ-साथ अवैध प्लांट भी सक्रिय हैं, जो निर्माण कार्यों में गुणवत्ताहीन डस्ट की आपूर्ति कर रहे हैं। इसके लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि विकास परियोजनाओं में उच्च गुणवत्ता वाली एम-सेंड का उपयोग हो सके।

राजस्थान में विकास कार्यों में एम-सेंड का अनिवार्य उपयोग बजरी की कमी के समाधान के रूप में उभर रहा है। सरकार का यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा, बल्कि विकास परियोजनाओं में भी गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होगा। एम-सेंड के उपयोग में आ रही चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार को अवैध खनन और गुणवत्ताहीन डस्ट के उपयोग पर भी सख्त निगरानी रखनी होगी।