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Selja vs Hooda: हरियाणा कांग्रेस में अंदरूनी कलह! कुमारी सैलजा की नाराजगी का बड़ा कारण यह 

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह गहराती जा रही है। खासकर, कुमारी सैलजा की नाराजगी और हुड्डा की मजबूत पकड़ से पार्टी के अंदर असंतोष का माहौल बना हुआ है। कुमारी सैलजा, जो कि दलित समुदाय की वरिष्ठ नेता हैं, अपने करीबी कैप्टन अजय चौधरी को टिकट न मिलने से नाखुश हैं।
 
Selja vs Hooda

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह गहराती जा रही है। खासकर, कुमारी सैलजा की नाराजगी और हुड्डा की मजबूत पकड़ से पार्टी के अंदर असंतोष का माहौल बना हुआ है। कुमारी सैलजा, जो कि दलित समुदाय की वरिष्ठ नेता हैं, अपने करीबी कैप्टन अजय चौधरी को टिकट न मिलने से नाखुश हैं।

कुमारी सैलजा की नाराजगी का कारण

कुमारी सैलजा की नाराजगी के पीछे मुख्य कारण टिकट बंटवारे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की भूमिका है। हुड्डा के समर्थक उम्मीदवारों को तवज्जो मिलने से सैलजा ने चुनाव प्रचार से खुद को दूर कर लिया है। इस मुद्दे पर सैलजा ने कहा है कि कांग्रेस में जो 2004 में भजनलाल थे, वही आज हुड्डा हैं।

सैलजा बनाम हुड्डा

हुड्डा और सैलजा के बीच यह टकराव कोई नया नहीं है। पिछले कई वर्षों से दोनों के बीच सियासी संघर्ष जारी है। जहां हुड्डा के समर्थक टिकट पाने में कामयाब हो रहे हैं, वहीं सैलजा के करीबी उम्मीदवार हाशिए पर जा रहे हैं। इस बार सैलजा ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है, लेकिन पार्टी आलाकमान इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।

हरियाणा कांग्रेस के लिए इस समय सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर उठ रही नाराजगी को शांत करना है। कांग्रेस आलाकमान ने हालात को काबू में करने के लिए अशोक गहलोत जैसे नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। इसके बावजूद, कुमारी सैलजा जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है।

हरियाणा में कांग्रेस पिछले 10 साल से सत्ता से दूर है और इस बार वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। पार्टी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एक सीट उसने सीपीआईएम को दी है। 5 अक्टूबर को चुनाव होंगे और 8 अक्टूबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। पार्टी को उम्मीद है कि आलाकमान के हस्तक्षेप से अंदरूनी कलह को सुलझाया जा सकेगा, ताकि चुनावी मैदान में पार्टी मजबूती से उतर सके।