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Jind News: समाजसेवी राजकुमार गोयल ने कावड़ियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
 

Jind News: समाजसेवी राजकुमार गोयल ने कावड़ियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
 
 
समाजसेवी राजकुमार गोयल ने कावड़ियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

हरिद्वार से गंगाजल लाने के लिए कावड़ियों का एक जत्था मंगलवार को बनखंड महादेव हांसी रोड से बोल बम के जयघोष के साथ रवाना हुआ।
 इस जत्थे को अखिल भारतीय अग्रवाल समाज हरियाणा के अध्यक्ष एवं प्रमुख समाजसेवी डा. राजकुमार गोयल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह जत्था साड़ी एसोसिएशन के प्रधान सावर गर्ग के नेतृत्व में शुरू हुआ। इस अवसर पर शाइनिंग स्टार के फाउंडेशन के अध्यक्ष मनजीत भोंसला, कपड़ा एसोसिएशन से दीपक गर्ग, गोपाल जिंदल, सोनू गर्ग, प्रदीप बसंल, सोनू जैन, कपिल मुनि, सुनील गोयल, बजरंग गर्ग, सुशील सिंगला इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

रवाना होने से पूर्व कावड़ियों द्वारा बनखंड महादेव मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर नारियल फोड़ कर यात्रा के मंगलमय होने की कामना की गई।

इस अवसर पर अपने संबोधन में राजकुमार गोयल ने कहा कि कावड़ यात्रा धार्मिक आस्था से जुड़ी एक परम्परा है। 
इस परम्परा के तहत लाखों श्रद्धालु हर साल सावन के महीने में हरिद्वार, गंगोत्री, गोमुख, प्रयागराज जैसे प्रमुख स्थानों से गंगाजल लाकर देवों के देव महादेव पर लाकर चढ़ाते हैं। वैसे तो सावन के पूरे महीने श्रद्धालु शिव का जलाभिषेक करते है पर सावन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और मुख्य रूप से चतुदर्शी के दिन को भगवान शिव का जलाभिषेक करना ज्यादा शुभ माना जाता है।


 गोयल ने बताया कि कावड़ लाने के चार प्रमुख रूप हैं जैसे सामान्य कावड़ यात्रा, खड़ी कावड़ यात्रा, डाक कावड़ यात्री, दांडी कावड़ यात्रा। कावड़ कब से शुरू हुई इस बारे में अलग अलग मान्यताएं हैं। एक मान्यता यह है कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थ यात्रा पर लेकर गए और आते वक्त गंगाजल लेकर आए जिससे भगवान शिव को अर्पित कर दिया गया। इस अवसर पर साडी एसोसिएशन के प्रधान सावर गर्ग ने कहा कि वे अपने साथियों के साथ पिछले 20 साल से कावड़ ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो भक्त सच्चे मन से कावड़ लाते हैं भोले नाथ उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।

उन्होंने कहा कि कावड़ शुरू होने के बारे में एक मान्यता यह भी है कि सबसे पहले कावड़ यात्रा का आरम्भ भगवान परशुराम द्वारा किया गया। भगवान शंकर के परम भक्त श्री परशुराम ने गढ़मुक्तेशवर से गंगाजल ला कर बागपत जिले के महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करके इस कावड़ परम्परा को आरंभ किया।