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12 जुलाई को होने वाली प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को सरकार धरातल पर करे लागू 

12 जुलाई को होने वाली प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारियों की लंबित पड़ी मांगों को सरकार धरातल पर करे लागू 
 
 हरियाणा कर्मचारी

 हरियाणा कर्मचारी महासंघ के पूर्व प्रदेश मुख्य संगठन सचिव अनूप लाठर ने 12 जुलाई को राज्य मंत्रिमंडल की होने वाली बैठक में प्रदेश के कर्मचारी वर्ग की लंबित पड़ी मांगों को धरातल पर लागू करने की मांग की है। 

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के ही पूर्वव्रती कार्यकाल से लेकर मुख्यत मांगों जिनमें प्रदेश के दो लाख एनपीएस कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल करने, सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पक्का करना, हरियाणा कौशल रोजगार निगम को भंग करके पक्की भर्तियां करना, एक्सग्रेसिया नीति बिना शर्त लागू करना, प्रदेश की जनता की बढ़ती आबादी के अनुसार सभी विभागों में नए पद सृजीत करते हुए नियम अनुसार स्थाई व पक्की भर्ती करना सभी विभागों, बोर्ड, निगमों व शैक्षणिक संस्थाओं में रिक्त पदों पर पदोन्नति देना, रिस्की कार्य करने वाले विभागों में रिस्की भत्ता लागू करना सभी विभागों में निजीकरण पर पूर्ण रूप से रोक लगाते हुए लाखों बेरोजगारों को पक्का रोजगार उपलब्ध करवाने जैसे निर्णय कैबिनेट में पारित करके शीघ्र अति शीघ्र अधिसूचना जारी करने की मांग की है। 

प्रदेश के कर्मचारी वर्ग ने कोरोना जैसी संकट की घड़ी तथा आम चुनाव जैसे संवेदनशील अवसरों पर काफी धैर्य तथा निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। इन सभी मांगों में से लगभग काफी मांगों पर पूर्व मुख्यमंत्री तथा सरकार से उच्च स्तर पर वार्ता की मेज पर सैद्धांतिक रूप से सहमति भी बनी है परंतु आज तक लागू न होने से प्रदेश के कर्मचारी वर्ग में भारी रोष है। अत शुक्रवार की मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इन मांगों को लागू करे। गौरतलब है कि इनमे ज्यादातर मांगें सीधे प्रदेश की जनता के हितों से सरोकार रखती है। रोडवेज विभाग में यूनियनों के विरोध के बावजूद और प्रदेश की जनता के न चाहने के बाद भी 362 मार्गों पर 3658 परमिट जारी करके प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है। यदि सरकार उपरोक्त मांगों पर पूरा नहीं करती है तो आगामी बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहे और कर्मचारियों की नाराजगी का खामियाजा आने वाले विधानसभा चुनावों में भी भुगतने के लिए तैयार रहे।