हरियाणा के सिरसा जिले के खेतों में पाई जाती है ये संजीवनी, अस्थमा रोग को करती है जड़ से खत्म, जानें
Haryana: हरियाणा प्रदेश के शिक्षा जिले के रेगिस्तान से लगते खेतों में एक ऐसा पौधा पाया जाता है जिसे सत्यानाशी के नाम से जाना जाता है। इस पौधे को औषधि के रूप में प्रयोग कर अस्थमा रोग को हम जड़ से खत्म कर सकते हैं। यह पौधा इतना कारगर होता है कि इसके उपयोग से भारत देश के अंदर अस्थमा रोग से पीड़ित लाखों लोग अपना उपचार कर रहे हैं।
हमारे खेतों और जंगलों में ऐसे हजारों पेड़-पौध मौजूद हैं, जिनका उपयोग अस्थि के रूप में कर हम अपने शरीर में रोग से मुक्ति पा सकते हैं। जब हम जड़ी-बूटियों की बात करते हैं, तो गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा बात होती है। लेकिन सत्यानाशी भी एक ऐसा पौधा है जिसका बहुत अधिक महत्त्व है।
इसमें एंटी अस्थमा के गुण काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह पौधा आपको हरियाणा प्रदेश के सिरसा जिले के खेतों में प्रचुर मात्रा में देखने को मिल सकता है। इस पौधे को सत्यानाशी के अलावा और कई नामों से भी जानते हैं। सिरसा भाई आसपास क्षेत्र के लोग इसे कंटकारी, तो राजस्थान में कुछ जगहों पर भटकटैया भी कहते हैं। वहीं आयुर्वेद में इसे सत्यानाशी के नाम से पुकारा जाता है।
सिरसा जिले में पाए जाने वाले सत्यानाशी की पहचान इसके कंटीले हरे पत्तों, और पीले फूलों के अंदर मौजूद हल्के लाल बीज होते हैं। यह औषधीय गुणों से भरपूर माना जाने वाला पौधा रेगिस्तान, नदी, नाले, तालाब के किनारे और बंजर भूमि पर स्वतः ही उग आता है।
आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से अस्थमा जड़ से खत्म हो जाता है। इसका अर्क भी कई प्रकार के रोगों में लाभकारी होता है। सत्यानाशी के दूध का सेवन भी किया जा सकता है। इस पौधे के बीजों का धुआं दांत दर्द एवं दांत के कीड़े को गायब करने में कारगर सिद्ध होता है।
सत्यानाशी के सम्पूर्ण पौधे का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।इस पौधे की जड़ का उपयोग शरीर में पाई जाने वाली पथरी के इलाज के लिए कारगर है। इसकी जड़ और फल से भी कई प्रकार की दवाई बनाई जाती है। इसका पाउडर बनाने की भी एक विधि होती है। इस विधि के तहत 2 से 3 ग्राम और काढ़ा 50 से 75 मि.ली लेना सुरक्षित माना जाता है।