Haryana news: उचाना मेरे गांव के त्यौहार होली पर डीजे पर फैलाई जा रही अश्लीलता के खिलाफ लोगों ने जताया विरोध
उचाना : कभी होली पर्व का अपना अलग महत्व था। पहले होलिका दहन पर पूरे परिवार के लोग एक साथ मौजूद रहते थे और होली के दिन एक - दूसरे को रंग डालकर पर्व मनाते थे।
उचाना अनाज मंडी स्थित मुकेश ट्रेनिंग कंपनी के संचालक लाला सतपाल बंसल ने होली के त्यौहार पर बोलते हुए कहा कि पहले की होली में अब के हाल में बहुत फर्क आ रहा है.
हम घूम - घूम कर घर - घर जाकर होली का प्रेम बांटते थे। लेकिन अब परंपराओं पर आधुनिकता हावी हो गया है। पहले और अब, होली में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। होली का मतलब अश्लीलता, फुहड़पन व नशापान तक सिमट कर रह गया है। लोग होली के बहाने आपसी दुश्मनी साधने में लगे है।
वार्ड नंबर 7 निवासी गुरनाम आर्य ने बताया कि अब होली का त्यौहार नहीं सभी त्योहार फीके पड़ते जा रहे हैं l
हालत यह है कि होलिका दहन लोगों के डाइनिंग रूम में सिमट गया है और 40 फीसदी आबादी होली के दिन खुद को कमरे में बंद कर लेती है। जाहिर है होली के मायने बदल गए है।उन्होंने कहा कि संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए युवाओं को सजग होना होगा। संस्कृति ही देश की पहचान होती है। इसको लेकर लोगाें को गंभीर होने की जरूरत है।
उचाना राजेंद्र कॉलोनी वासी हरदीप ने कहा कि अमीर, गरीब और ऊंच नीच का फर्क लोग महसूस करते हैं। आजकल समाज में सौहार्द की कमी हो गई है, भाईचारे की कमी हो गई है।
आपसी में सहयोग की कमी हो गई हो गई है। अब होली केवल परंपरा का निर्वहन रह गया है। हाल के दिनों में अश्लीलता, फुहड़पन, हुड़दंग इस कदर बढ़ गया है कि अच्छा परिवार होली के दिन निकलना नहीं चाहता है। घरों के अंदर ही होली मना ली जाती है ।