यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नाम डिस्प्ले करने का आदेश
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर जिले में खाने-पीने और फल की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों को अपने-अपने नाम डिस्प्ले करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही दुकानों या होटलों पर काम करने वालों के नाम भी लिखने का निर्देश जारी किया गया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह आदेश कांवड़ियों में किसी प्रकार का कन्फ्यूजन न हो, इस उद्देश्य से जारी किया गया है।
Updated: Jul 19, 2024, 11:08 IST
UP News: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर जिले में खाने-पीने और फल की दुकानें लगाने वाले दुकानदारों को अपने-अपने नाम डिस्प्ले करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही दुकानों या होटलों पर काम करने वालों के नाम भी लिखने का निर्देश जारी किया गया है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह आदेश कांवड़ियों में किसी प्रकार का कन्फ्यूजन न हो, इस उद्देश्य से जारी किया गया है।
इस आदेश के कारण उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार की आलोचना हो रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बीएसपी प्रमुख मायावती समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। यहां तक कि बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी इस फैसले से सहमत नहीं है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह आदेश भेदभावपूर्ण है और इससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
प्रशासन का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की गलतफहमी या विवाद से बचने के लिए यह आदेश जारी किया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस आदेश से कांवड़ियों को दुकानों और होटल्स में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
इस आदेश के राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं। यूपी सरकार ने हाल ही में शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस, पंत नगर कॉलोनी को जमींदोज करने और बिजली विभाग के एफआईआर करने के फैसले पर यू-टर्न लिया है। इसी हफ्ते सरकार ने तीन बड़े फैसलों पर वापस कदम खींचे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपने विवादास्पद फैसलों पर पुनर्विचार कर रही है।
यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिनमें से कई सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। बीजेपी की आंतरिक बैठकों में मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट्स खड़े करने की बात हो रही है। ऐसे में यह आदेश पार्टी की मुस्लिम समुदाय के साथ दूरी बढ़ा सकता है।
संविधान के अनुसार, देश के नागरिकों में किसी भी प्रकार से भेदभाव करना अनुचित है। हर किसी को व्यापार करने की छूट प्रदान की गई है। यह आदेश सीधे-सीधे व्यापार करने से नहीं रोकता, लेकिन इसके परिणामस्वरूप बहुत से दुकानदारों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। इस आदेश के कारण समाज में भेदभाव और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने की संभावना है।
इस आदेश के कारण उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार की आलोचना हो रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बीएसपी प्रमुख मायावती समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। यहां तक कि बीजेपी की सहयोगी जेडीयू भी इस फैसले से सहमत नहीं है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह आदेश भेदभावपूर्ण है और इससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
प्रशासन का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की गलतफहमी या विवाद से बचने के लिए यह आदेश जारी किया गया है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस आदेश से कांवड़ियों को दुकानों और होटल्स में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
इस आदेश के राजनीतिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण हैं। यूपी सरकार ने हाल ही में शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस, पंत नगर कॉलोनी को जमींदोज करने और बिजली विभाग के एफआईआर करने के फैसले पर यू-टर्न लिया है। इसी हफ्ते सरकार ने तीन बड़े फैसलों पर वापस कदम खींचे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार अपने विवादास्पद फैसलों पर पुनर्विचार कर रही है।
यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिनमें से कई सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। बीजेपी की आंतरिक बैठकों में मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट्स खड़े करने की बात हो रही है। ऐसे में यह आदेश पार्टी की मुस्लिम समुदाय के साथ दूरी बढ़ा सकता है।
संविधान के अनुसार, देश के नागरिकों में किसी भी प्रकार से भेदभाव करना अनुचित है। हर किसी को व्यापार करने की छूट प्रदान की गई है। यह आदेश सीधे-सीधे व्यापार करने से नहीं रोकता, लेकिन इसके परिणामस्वरूप बहुत से दुकानदारों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी। इस आदेश के कारण समाज में भेदभाव और साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने की संभावना है।