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Varanasi-Kolkata Greenfield Expressway Project में जमीन विवाद के कारण देरी, जानें मामला 

बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है, जमीन अधिग्रहण के मुद्दों के कारण देरी का सामना कर रही है। यह परियोजना भारत के पूर्वी हिस्से के परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
 
Varanasi-Kolkata Greenfield Expressway

Varanasi-Kolkata Greenfield Expressway: बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क परियोजना है, जमीन अधिग्रहण के मुद्दों के कारण देरी का सामना कर रही है। यह परियोजना भारत के पूर्वी हिस्से के परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जमीन अधिग्रहण की चुनौतियाँ

परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में प्रमुख चुनौती बिहार में उत्पन्न हुई है। राज्य के रोहतास और कैमूर जिलों में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया फंसी हुई है, जिससे परियोजना के दूसरे और तीसरे फेज़ में देरी हो रही है। इसके अलावा, कैमूर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी में 5 हेक्टेयर वन भूमि भी अधिग्रहण का हिस्सा है, जिसके लिए एनजीटी से अनुमति की आवश्यकता है।

पहला चरण: चंदौली रेवासा से शिहोरिया कैमूर (27 किमी) – 994 करोड़ रुपये।
दूसरा चरण: कैमूर शिहोरिया से शिवगांव भभुआ।
तीसरा चरण: कैमूर शिवगांव से कोनकी रोहतास।

वाराणसी क्षेत्र में 90 किमी सड़क का निर्माण तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इस कार्य के लिए दो निर्माण एजेंसियों, एनकेएस प्रोजेक्ट प्रा.लि., गुड़गांव और पीएनसी इन्फ्राटेक प्रा.लि., आगरा, को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जमीन विवाद के निवारण के प्रयास

जमीन के विवाद को सुलझाने के लिए बिहार में मध्यस्थों की नियुक्ति की गई है। इन मध्यस्थों का मुख्य कार्य किसानों से जमीन के मुआवजे की दरों पर सहमति बनाना है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और बिहार के शीर्ष अधिकारी भी इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

परियोजना के लाभ

एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद, बनारस से कोलकाता की दूरी सिर्फ 8 घंटे में पूरी की जा सकेगी। परियोजना के पूरा होने से संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच तेज और सुरक्षित परिवहन की सुविधा उपलब्ध होगी।

बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जो न केवल उत्तर और पूर्व भारत के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, जमीन अधिग्रहण के मुद्दों के कारण परियोजना में देरी हो रही है, लेकिन यदि इन समस्याओं का समाधान जल्दी कर लिया जाता है, तो यह परियोजना समय पर पूरी हो सकती है, जिससे लाखों लोगों को फायदा होगा।