हरियाणा के कच्चे कर्मचारियों की हो गई बल्ले-बल्ले, नायब सैनी सरकार गेस्ट टीचर की तर्ज पर करेगी अस्थाई कर्मचारीयों को पक्का
हरियाणा के अस्थायी कर्मचारियों को गेस्ट टीचर्स की तर्ज पर नौकरी की सुरक्षा गारंटी देने पर सरकार विचार कर रही है। अभी यह प्राथमिक चरण में ही है। रेगुलराइजेशन पॉलिसी के स्थान पर हरियाणा गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट की तर्ज पर अस्थायी कर्मचारियों के लिए एक्ट बनाने पर मंथन जारी है। इसे रेगुलराइजेशन पालिसी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि सरकार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से मिले निर्देशों को भी ध्यान में रखकर रेगुलाईजेशन पॉलिसी पर भी मंथन कर रही है। मगर यह अभी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंचा है। प्रदेश सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों ने कई बार मंथन कर लिया है और पुरानी सभी रेगुलराइजेशन पॉलिसीज और उन पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का अध्ययन किया गया है।
इन पुरानी नीतियों और पुराने फैसलों के आलोक में रेगुलराइजेशन पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए आंतरिक तौर पर कई बैठकें हुई और मंथन हुआ।
एक प्रारूप भी तैयार किया गया ताकि अगर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी रेगुलराइजेशन पॉलिसी बनाने का निर्देश दें तो प्रारूप उनके सामने रखा जा सके और उस पर चर्चा हो सके। इसमें किन अस्थायी कर्मचारियों को शामिल करना है और कितने वर्ष तक की सर्विस वाले अस्थायी कर्मचारियों को शामिल करना है, वे सभी कॉलम रिक्त रखे हुए हैं। मगर अंतिम चर्चा में रेगुलराइजेशन पॉलिसी के स्थान पर अस्थायी कर्मचारियों की सर्विस सुरक्षित रखने पर मंथन हुआ। इसमें चर्चा हुई कि हरियाणा गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट की तर्ज पर एक्ट लाया जा सकता है। मगर इसका फैसला भी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने करना है। अभी तक मुख्यमंत्री की तरफ से अधिकारियों को इस बारे में किसी भी प्रकार का निर्देश नहीं दिया गया है।
सर्विस एक्ट बना तो यह मिलेंगे फायदे
जब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ चर्चा होगी और वह तय होगा कि रेगुलराइजेशन पॉलिसीज बनानी है या सर्विस की सुरक्षा की गारंटी देनी है, उसके बाद प्रारूप तैयार किया जाएगा। अभी तक के मंथन में निकलकर आया है कि सर्विस एक्ट बनाए जाने से अस्थायी कर्मचारियों की सेवा भी सुरक्षित रह सकेगी और अदालतों से भी वह कानून बचने की संभावना ज्यादा है।
अगर रेगुलराइजेशन पॉलिसीज बनाई गई तो वे अदालत में फंस सकती है क्योंकि 2014 की सभी पॉलिसीज को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर रखा है और उन पर सुप्रीम कोर्ट में अपीलें लंबित है। इस महीने के आखिरी सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में इन अपीलों पर सुनवाई हो सकती है। अगर हरियाणा गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट की तर्ज पर एक्ट बना तो अस्थायी कर्मचारियों की सर्विस 58 साल (रिटायरमेंट उम्र) तक सुरक्षित रह सकेगी। ऐसे कर्मचारियों का अलग कैडर बन जाएगा। इस कैडर के कर्मचारियों को एकमुश्त वेतन मिलेगा। इसमें समय-समय पर बढ़ोतरी हो सकेगी। रेगुलर कर्मचारी की तर्ज पर अन्य लाभ नहीं मिल पाएंगे। कुछ छुट्टियां वगैरह का लाभ मिल सकेगा। गेस्ट टीचर्स का एकमुश्त वेतन तय है और जनवरी, जुलाई में उसमें डीए के बराबर बढ़ोतरी होती है।
10 साल या सात साल या पांच साल पर भी अंत में फैसला होगा
अगर प्रदेश सरकार फैसला करती है कि गेस्ट टीचर्स सर्विस एक्ट की तर्ज पर एक्ट बनाकर अस्थायी कर्मचारियों की सर्विस सुरक्षित करनी है तब यह फैसला भी अंत में होगा कि कितने साल तक की सर्विस वाले कर्मचारियों की सर्विस सुरक्षित करनी है। अभी तक मंथन में निकला है कि अगर 10 साल तक की सर्विस तक के कर्मचारी शामिल किए तो उनकी संख्या बेहद कम है।
इसलिए सरकार सात साल तक की सर्विस वाले कर्मचारियों को शामिल करती है। अगर तब भी संख्या कम रही तो पांच साल तक की सर्विस वालों को भी सरकार सुरक्षित करने पर विचार कर सकती है। शायद पांच साल से नीचे सरकार सीमा तय न कर पाए। मगर यह फैसला मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने करना है। रेगुलराइजेशन पॉलिसी वा सर्विस एक्ट में से जिस पर भी सरकार फैसला करेगी, वह फैसला 20 जुलाई के बाद ही होने की संभावना है।