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Sucess Story: जानिए इस लड़की के बारे में जिसने एक ऐप से खड़ा कर दिया 27 करोड़ का स्टार्टअप, ऑस्ट्रेलिया ने भी किया नतमस्तक 

अंशिका ने इस कंपनी को एक छोटी सी पूंजी से शुरू किया था और अब दो साल में इस कंपनी का बाजार मूल्य 27 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
 
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Sucess Story: नोएडा के सेक्टर-14ए की रहने वाली अंशिका सिंह ने इस कहावत को साबित कर दिया है कि 'जहां इच्छा होती है, वहां रास्ता होता है। उन्होंने एक ऐसा ऐप विकसित किया है जो कुछ ही सेकंड में हजारों दस्तावेजों का सारांश देता है। उन्होंने इस ऐप के माध्यम से दो साल से भी कम समय में 27 करोड़ रुपये की कंपनी बनाई है। इस स्टार्टअप के लिए उन्हें ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है।

अंशिका सिंह ने सेक्टर-30 डीपीएस से 12वीं तक पढ़ाई की है। उन्होंने 2017 में रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से छात्रवृत्ति के साथ स्नातक किया। इसके बाद, वर्ष 2022 में, उन्होंने खुद आउट-रीड (out-read.com) ऐप नामक एक स्टार्टअप कंपनी की नींव रखी। इस ऐप के साथ, आप कुछ ही क्षणों में किसी भी बड़े दस्तावेज़ का सारांश प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में दस्तावेजों के हजारों पन्नों को पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन सभी महत्वपूर्ण चीजें कुछ पंक्तियों तक ही सीमित हो जाएंगी।

ऐप का उपयोग शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान केंद्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों द्वारा किया जा सकता है। अब तक, संस्थानों और व्यक्तियों ने इस ऐप की सदस्यता ली है। इसे ऑस्ट्रेलिया में सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप में से एक के रूप में चुना गया था, जिसके लिए अंशिका को दक्षिण ऑस्ट्रेलिया सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया था। वह मेलबर्न में रहता है। उनके पिता संतोष कुमार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ओएसडी हैं।

अंशिका ने इस कंपनी को एक छोटी सी पूंजी से शुरू किया था और अब दो साल में इस कंपनी का बाजार मूल्य 27 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अमेरिका की पीबीटीएस होल्डिंग III एलएलसी द्वारा किए गए मूल्यांकन के अनुसार, अंशिका की कंपनी का बाजार मूल्य तीन लाख अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 27 करोड़ रुपये है।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने उत्कृष्ट स्टार्टअप की एक सूची तैयार की थी। इस सूची में कुल 500 स्टार्टअप्स ने आवेदन किया था। इनमें से 12 स्टार्टअप्स की पहचान उत्कृष्ट स्टार्टअप्स के रूप में की गई। अनुष्का तीसरे स्थान पर रहीं। गूगल के मुख्य वैज्ञानिक जेफ डीन, अमेरिकी कंपनी टेक स्टार ने प्रारंभिक निवेश के लिए सहयोग किया।

मदद का हाथ बनें

अंशिका का कहना है कि यह विचार उनके दिमाग में पढ़ाई के दौरान आया था। उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और दो साल की कड़ी मेहनत के बाद गाजियाबाद की अपनी सहपाठी जान्हवी चौधरी के साथ मिलकर ऐप विकसित किया। उनका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इस कंपनी का बाजार मूल्य लगभग ढाई हजार करोड़ रुपये तक ले जाने का है।

एआई की सफलता

अंशिका ने कहा कि वह मेलबर्न में पढ़ रही थी। उसी समय, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का जन्म हुआ। ऑस्ट्रेलिया में सरकार AI को बढ़ावा दे रही थी, तब उन्हें इस ऐप को विकसित करने का विचार आया। उन्होंने लगभग डेढ़ साल में कंपनी को इस पद पर पहुंचा दिया। राज्य सरकार ने भी इसमें मदद की।