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Sucess Story: अमरूद की खेती के लिए छोड़ी नौकरी, अब कमाते हैं 1 करोड़ रुपये, मिलिए MBA पास राजीव भास्कर से

एम. बी. ए. पूरा करने के बाद, राजीव भास्कर ने वी. एन. आर. सीड्स की बिक्री और विपणन टीम में अपना करियर शुरू किया। लेकिन जीवन की यात्रा में कभी-कभी हमारे रास्ते में नए मोड़ आते हैं जो हमें एक नई दिशा में ले जाते हैं।
 
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नई दिल्लीः अगर हम दूसरों की बात सुनते हैं, तो हमें अक्सर ऐसी कहानियां मिलती हैं जहां लोगों ने अपनी नौकरी छोड़ दी है और व्यवसाय का रास्ता चुना है। आज हम आपको राजीव भास्कर की एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपना कृषि व्यवसाय छोड़ दिया और खेती की यात्रा शुरू की।

कृषि उद्यमिता से खेती तक

एम. बी. ए. पूरा करने के बाद, राजीव भास्कर ने वी. एन. आर. सीड्स की बिक्री और विपणन टीम में अपना करियर शुरू किया। लेकिन जीवन की यात्रा में कभी-कभी हमारे रास्ते में नए मोड़ आते हैं जो हमें एक नई दिशा में ले जाते हैं। राजीव भी इस तरह की अनूठी यात्रा का हिस्सा बने।

अपनी नौकरी के दौरान, राजीव को देश भर के किसानों से मिलने और उनकी जीवन शैली और कृषि समस्याओं को समझने का अवसर मिला। इस दौरान उन्हें खेती के प्रति एक नया दृष्टिकोण मिला और उनका मन खेती के प्रति प्रेम में बदल गया।

एक सपने में मुक्केबाजी

काम करते समय, राजीव ने थाई अमरूद की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की। इससे उनका सपना सच हो गया और वह खुद को एक सफल कृषि उद्यमी के रूप में देखते हैं।

नौकरी से दिया इस्तीफा

धीरे-धीरे, राजीव का झुकाव नौकरी से खेती की ओर चला गया। 2017 में, राजीव ने हरियाणा के पंचकुला में पाँच एकड़ भूमि लेकर थाई अमरूद की खेती करने का फैसला किया। इसमें अवशेष-मुक्त कृषि तकनीकों को अपनाना और जैविक अवयवों का उपयोग करना शामिल था।

कड़ी मेहनत, बड़ी कमाई

राजीव ने अपना पूरा जीवन खेती के लिए समर्पित कर दिया और उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें बड़ी सफलता दिलाई। पहली फसल की कटाई के बाद ही उन्होंने 20 लाख रुपये की कमाई की।

एक नए दृष्टिकोण में निवेश करें

उनकी सफलता ने उन्हें एक नए दृष्टिकोण से देखने का मौका दिया। 2019 में, राजीव ने तीन निवेशकों के साथ पंजाब में 55 एकड़ भूमि पर अमरूद की खेती करने का फैसला किया। इसमें उन्होंने अपने कृषि क्षेत्र को बढ़ाने का फैसला किया और अमरूद की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए काम किया।

विपणन और बिक्री रणनीति

राजीव ने अपनी फसल के विपणन और बिक्री रणनीति का भी सावधानीपूर्वक चयन किया। उन्होंने अपने उत्पादों को दिल्ली के बाजार में पहुंचाने के लिए 10 किलो के डिब्बों में पैक करने का फैसला किया। इससे उन्हें प्रति एकड़ 6 लाख रुपये का मुनाफा हुआ। इससे उन्होंने एक साल में एक करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की।

उत्पादन बढ़ाने पर जोर

राजीव को न केवल अपनी आय बढ़ाने के लिए बल्कि अपनी फसलों की उपज बढ़ाने के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अमरूद के पौधों की औसत उपज 25 किलोग्राम प्रति पौधे से बढ़ाकर 40 किलोग्राम कर दी।