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Success Story: एक ही घर के 5 सदस्यों ने किया हरियाणा का नाम रोशन, देवर-देवरानी ने किया टॉप

हाल ही में हरियाणा में ग्रुप सी और ग्रुप डी का परिणाम जारी हुआ है। रिज्लट के बाद हरियाणा के बहुत से युवाओं को रोजगार मिला है। आज हम आपको एक ऐसे परिवार के बारे में बता रहे है, जहां पर एक ही परिवार के 5 सदस्यों ने अपने गांव के साख पूरे हरियाणा का नाम रोशन कर दिया है। आइये जानते है इनके बारे में...
 
एक ही घर के 5 सदस्यों ने किया हरियाणा का नाम रोशन

Haryana Govts Jobs Results : हरियाणा सरकार ने ग्रुप सी और ग्रुप डी के कई पदों पर भर्तियां निकाली थी। जिसके लिए लाखों उम्मीदवारों ने आवेदन दिया था। आवेदन देने के बाद ग्रुप सी और ग्रुप डी परीक्षा ली गई।

हाल ही में ग्रुप सी और ग्रुप डी का रिज्लट आया है। परिणाम आने के बाद लाखों युवाओं को रोजगार मिला है। हरियाणा के फतेहाबाद में एक ही परिवार के पांच सदस्यों ने सरकारी नौकरी हासिल करके पूरे हरियाणा का नाम रोशन कर दिया है।

इस परिवार में 3 सदस्यों को ग्रुप सी की और 2 सदस्यों को ग्रुप डी की नौकरी मिली है। परिवार के सदस्य मोनू  को बिजली विभाग में असिस्टेंट लाइनमैंन की नौकरी मिली है।

गांव चंदड़ निवासी सीमा ने बताया कि उसकी ग्रुप सी में एमपीएचडब्ल्यू के तौर पर नौकरी लगी है। रतिया में उनकी ड्यूटी है। 

एक इंटरव्यू के दौरान सीमा ने बताया कि उसके पति, उसके देवर और उसकी देवरानी सहित परिवार के सभी सदस्यों की नौकरी अपनी मेहनत के बल पर लगी है। पढ़ाई की वैल्यू इस सरकार में है। इससे पहले लोग पैसे देकर नौकरियां लेते थे। 

साथ ही अखबार बेचने वाले मोनू कुमार ने बताया कि वह घर का गुजरा चलाने के लिए वह करीब 18 साल से अखबार बांटने का काम करता था।

हाल ही में अब उसको ग्रुप सी में नौकरी मिल गई। कैथल जिले में असिस्टेंट लाइनमैन (एएलम) के तौर पर उन्होंने बिजली विभाग में ज्वाइनिंग कर ली है।

मोनू ने बताया कि बिना किसी नकल के इस नौकरी हासिल किया है। इससे पहले वह अखबार बेचकर अपने पूरे परिवार का गुजरा करता था। मोनू की इस कामयाबी से पूरा परिवार खुश है।

उन्होंने कहा कि इस सरकार में नौकरियां लगने से युवाओं का शिक्षा की ओर रुझान बड़ा है। पहले तो बड़ी मुश्किलों का सामना किया और जैसे-तैसे घर का गुजारा होता था।

वह बताते हैं कि लोगों को देखकर मोटिवेट हुए और पहले अखबार डालने से ही गुजारा होता था। सात-आठ सदस्य परिवार में हैं मोनू ने बताया कि वब अपने चाचा से भी मोटिवेट हुए।

उनके चाचा भी काफी गरीबी से गुजर रहे थे। जब वह 35 साल के थे तो उनकी रोडवेज में नौकरी लगी। मैं साल 2006 में कोशिश कर रहा हूं।