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हरियाणा की इन सितारों ने कड़ी मेहनत कर किया प्रदेश का नाम रोशन, सबकी मार्मिक कहानी पढ़ कर आप रह जाएंगे दंग

These stars of Haryana have brought glory to the state by working hard, you will be stunned after reading their touching stories.
 
UPSC

HARYANA UPSC:आज हम आपको हरियाणा प्रदेश के उन सितारों की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत प्रदेश का नाम रोशन कर दिया। इन सितारों की मार्मिक कहानी पढ़कर आप भी दंग रह जाएंगे। सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा प्रदेश के बहादुरगढ़ शहर के रहने वाले शौर्य ने यूपीएससी की परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल कर परिवार के साथ-साथ संपूर्ण बहादुरगढ़ क्षेत्र का देश में नाम रोशन कर दिया।

शौर्य प्रदेश में एकमात्र ऐसे युवा है, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल कर प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में शौर्य अरोड़ा ने 14वीं रैंक हासिल कर हरियाणा का मान संपूर्ण देश में बढ़ाया है। शौर्य वर्तमान में 24 वर्ष के हूए हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सूर्य के पिता का भी सपना था कि वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक आईएएस अधिकारी बने।

लेकिन उनकी कड़ी मेहनत के बावजूद उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। आज उनके बेटे शौर्य ने यूपीएससी की परीक्षा में प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल कर उनका अधूरा सपना पूरा कर दिया। शौर्य के पिता के मन में आईएएस न बन पाने की कसक ने ही शौर्य को सिविल सेवा के प्रति प्रेरित किया और उन्होंने पिता का सपना पूरा करने के लिए दिन-रात मेहतन कर आज यह सफलता हासिल की। सूर्य के पिता बताते हैं कि आज उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया है और मन में जो कसक थी वह भी पूरी हो गई है।

शौर्य अरोड़ा बहादुरगढ़ के सेक्टर-6 के निवासी हैं। आज की अपनी इस सफलता पर बताते हुए शौर्य ने कहा कि उनके पिता भूषण अरोड़ा ने भी संघ लोक सेवा आयोग दोबारा आयोजित की जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा चार बार परीक्षा दी थी और दिन-रात मेहनत की थी। लेकिन उनके पिता को यूपीएससी की किसी भी परीक्षा में सफलता हाथ नहीं लगी।

इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करने का फैसला किया और अपने पिता के सपने को पूरा करने की जिद ठानी। आज दिन-रात मेहनत करने के बाद मैंने इस परीक्षा में सफलता हासिल कर ली है। शौर्य की इस कामयाबी पर उनके पिता भूषण अरोड़ा, मां आरती अरोड़ा, दादा इंद्रजीत लाल व दादी शांति देवी पौते की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं और अपने बेटे की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं। 

शौर्य ने बगैर कोचिंग लिए की सफलता हासिल 

हरियाणा प्रदेश में यूपीएससी की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करने वाले शोर्य बताते हैं कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के आज यूपीएससी की परीक्षा में 14वीं रैंक हासिल कर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। शौर्य अरोड़ा ने दसवीं कक्षा और 12वीं कक्षा की पढ़ाई बाला विद्या मंदिर स्कूल चेन्नई से ग्रहण की। अगर अंक प्रतिशत की बात करें तो शौर्य ने 12वीं कक्षा की परीक्षा में 98.3% अंक प्राप्त किए। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आईआईटी मुंबई से बीटेक करके की। उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा 2022-23 में दी थी लेकिन इस परीक्षा में उन्हें सफलता हासिल नहीं लगी। लेकिन अपने दूसरे प्रयास में शौर्य ने सफलता के झंडा गाढ़ दिए। शौर्य बताते हैं कि आज जो सफलता मिली है उसके लिए उन्होंने कभी किसी से कोचिंग नहीं ली। बल्कि सेल्फ स्टडी पर फोकस करते हुए प्रतिदिन 7 से 8 घंटे कड़ी मेहनत कर तैयारी की। उन्होंने इस परीक्षा में फिजिक्स विषय को ऑप्शनल चुना। सूर्य के परिवार की बात करें तो उनकी बहन मुंबई आईआईटी में है। इनके पिता भूषण अरोड़ा और मां आरती अरोड़ा पूर्व में आईटी सेक्टर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर रह चुके हैं। फिलहाल इनके माता-पिता दोनों घर पर रहकर समाज सेवा करते हैं और दादा इंद्रजीत लाल दिल्ली में सरकारी अध्यापक रह चुके हैं। शौर्य की दादी हरियाणा में गवर्नमेंट टीचर के पद से सेवानिवृत हो चुकी हैं।

भिवानी के भावेश ख्यालिया ने हासिल की यूपीएससी में 46वीं रैंक 

हरियाणा प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो आईएएस युद्धवीर सिंह ख्यालिया को नहीं जानता होगा। युद्धवीर सिंह ख्यालिया अपने जमाने के विख्यात आईएएस अफसर रह चुके हैं। इन्होंने रक्तदान के लिए प्रदेश के युवाओं को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उनका सपना था कि उनके बच्चे भी आईएएस अफसर बनकर देश की सेवा करें। उनके इसी सपने को पूरा करने का काम उनके भतीजे भावेश ख्यालिया ने आज यूपीएससी की परीक्षा में 46वीं रैंक हासिल कर पूरा कर दिया। आपको बता दें कि भावेश ख्यालिया ने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी में 46वीं रैंक हासिल कर अपने ताऊ युद्धवीर सिंह का सपना पूरा किया है। भावेश ख्यालिया मूल रूप से भिवानी जिले के तोशाम के गांव झांवरी निवासी हैं। जो वर्तमान में हिसार के पुलिस लाइन एरिया में रहते हैं। भावेश ख्यालिया के ताऊ डॉ. युद्धबीर सिंह ख्यालिया 1983 में एचसीएस बनकर देश की सेवा की शुरुआत की थी। युद्धवीर सिंह खा लिया की मेहनत और उनके काम करने के जज्बे को देखते हुए बाद में सरकार ने उन्हें पदोन्नत कर आईएएस बना दिया। 
भावेश के चाचा राजेश ख्यालिया हैं, जो 1999 के बैच में एचसीएस चयनित होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

सोनीपत के अभिमन्यु ने अपने अंतिम प्रयास में भेदा यूपीएससी का चक्रव्यूह, हासिल की 60वीं रैंक

हरियाणा प्रदेश में कल संपूर्ण दिन यूपीएससी के रिजल्ट की चर्चा होती रही। प्रदेश के विभिन्न जिलों से कई युवाओं ने यूपीएससी में अच्छा प्रदर्शन कर प्रदेश का नाम रोशन कर दिया। हरियाणा प्रदेश के सोनीपत जिले की बात करें तो सोनिपत जिले के माहरा गांव के रहने वाले अभिमन्यु ने यूपीएससी की परीक्षा में 60वीं रैंक हासिल कर सफलता हासिल की है। अभिमन्यु ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने हेतु कई प्रयास किए, लेकिन सफलता हासिल नहीं हूई। इस बार अपने अंतिम प्रयास में यूपीएससी के चक्रव्यूह को भेद कर आईएएस बन गए हैं। अब उनकी सफलता और मेहनत के चर्चे हरियाणा प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण देश में हो रहे हैं। प्रदेश के सोनीपत जिले के छोटे से गांव माहरा निवासी अभिमन्यु ने इस परीक्षा की तैयारी हेतु दिन-रात मेहनत की।

 अभिमन्यु मलिक फिलहाल दिल्ली के कड़कड़डूमा क्षेत्र में एसडीएम का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनका परिवार फिलहाल सोनीपत के सेक्टर-23 में रहता है। अभिमन्यु के परिवार वालों ने बताया कि दो बहन-भाइयों में सबसे छोटे अभिमन्यु बचपन से ही पढ़ाई में इंटेलिजेंट थे और बेहद ही शांत स्वभाव के हैं। उन्हें पढ़ाई के अलावा गायन का भी बचपन से ही शौक रहा है। वे अगर यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर पाते तो एक अच्छे गायकार भी बन सकते थे। अभिमन्यु मलिक जाट बिरादरी से आते हैं और उनका बचपन का सपना आईएएस बनना था। इसके लिए वह लगातार दिन-रात मेहनत कर प्रयास कर रहे थे। उन्हें यूपीएससी की परीक्षा के पांचवें प्रयास में भी बेहतर रैंक हासिल नहीं हुई थी। इस बार यह उनका अंतिम प्रयास था और उन्होंने इस बार अपने अंतिम' प्रयास में 60वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनकर पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया।

अभिमन्यु के पिता बिजली निगम के सहायक एक्सईएन के पद से हो चुके हैं रिटायर्ड 

हरियाणा प्रदेश में बिजली निगम के सहायक एक्सईएन के पद से रिटायर्ड अभिमन्यु के पिता रणबीर मलिक बताते हैं कि अभिमन्यु ने इस परीक्षा की तैयारी हेतु दिन-रात 10 से 12 घंटे प्रतिदिन मेहनत कर सफलता हासिल की है। उन्होंने बताया कि हमारा परिवार मूल रूप से सोनीपत जिले के माहरा गांव का निवासी है। आज से ठीक 45 वर्ष पहले पूरा परिवार सोनीपत शहर के सेक्टर 23 में आकर रहने लगा था। इस दौरान अभिमन्यु ने अपनी दसवीं कक्षा सोनीपत शहर के लिटिल एंजेल स्कूल से पास की और 12वीं कक्षा उन्होंने जानकीदास कपूर स्कूल से पास की। इसके बाद अभिमन्यु 2014 में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु वाईएमएस कॉलेज  फरीदाबाद में बीटेक करने के लिए चले गए। उन्होंने 2016 में नाबार्ड के रोहतक क्लस्टर में सहायक महाप्रबंधक का पद ग्रहण किया। लेकिन उनका सपना एक आईएएस अधिकारी बनना था। इसके लिए उन्होंने लगातार प्रयास जारी रखें और आज अपने अंतिम प्रयास में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।

भावेश कर चुके हैं टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस से ग्रेजुएशन

भावेश की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस (हैदराबाद) से 2020 में ग्रेजुएशन किया था। इनका बचपन से ही यूपीएससी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर आईएएस बनने का सपना था। इसके लिए उन्होंने दिन-रात मेहनत की और आज यूपीएससी की परीक्षा में 46वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया।
आपको बता दें कि भावेश ने अपने पहले प्रयास में  यूपीएससी की परीक्षा में 280वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन इस बार उन्होंने इस कम करते हुए 46वीं रैंक में तब्दील कर दिया। भावेश ख्यालिया ने कहा कि अगर हम सच्ची लगन और ईमानदारी से मेहनत करते रहते हैं तो एक दिन सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय माता- पिता के साथ-साथ ताऊ युद्धवीर सिंह ख्यालिया और परिवार के अन्य सदस्यों व दोस्तों को दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को जीवन में कड़ी मेहनत कर चुनौतियों का सामना करना चाहिए। भावेश ने बताया कि आज मैंने जो सफलता हासिल की है उसमें मेरी पत्नी कीर्ति ख्यालिया के सहयोग की भी अहम भूमिका रही है।


बहादुरगढ़ के शिवांश ने 14 साल की कड़ी तपस्या कर हासिल की 63वीं रैंक

बहादुरगढ़ के रहने वाले शिवांश ने यह साबित कर दिया कि अगर आप सच्ची लगन और मेहनत से दिन-रात मेहनत करते हैं तो ऐसी कोई मंजिल नहीं है जिसे आप छू नहीं सकते। शिवांश ने यूपीएससी के तिलिस्म को तोड़ने हेतु लगातार 14 वर्ष तक कड़ी मेहनत की। शिवांश ने अपने इन 14 वर्षों में कभी हार नहीं मानी और अंत में कड़ी मेहनत से अपनी मंजिल को प्राप्त किया।
हरियाणा प्रदेश के बहादुरगढ़ के खरहर गांव के शिवांश राठी ने 9 साल की उम्र में आईएएस बनने के सपने को साकर करने हेतु मेहनत करनी शुरू कर दी थी। यूपीएससी की परीक्षा को पास कर आईएएस अफसर बनने का अपना सपना पूरा करने के लिए उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि पूरे 14 वर्ष हर रोज 10- 10, 12-12 घंटे पढ़ाई की। आज शिवांश ने यूपीएससी की परीक्षा में 63वीं रैंक हासिल कर आईएएस का तिलिस्म तोड़ते हुए अपने परिवार के साथ-साथ प्रदेश का भी नाम रोशन कर दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया की मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।

शिवांश राठी हुए अपने दादा से प्रेरित 


शिवांश राठी ने अपने दादा से प्रेरित होकर यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है। शिवांश वर्तमान में हरियाणा प्रदेश के बहादुरगढ़ के सेक्टर-6 में अपने माता-पिता और बहन के साथ रहते है। शिवांश के  दादा कंवल सिंह राठी भारतीय सेना से सेवानिवृत्त और शिवांश को हमेशा देश सेवा के लिए प्रेरित करते रहते थे। यही कारण है कि शिवांश ने अपने दादा से प्रेरित होकर आज यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की।शिवांश के ताऊ वीरेन्द्र राठी भी आईआरएस अफसर रह चुके हैं। इसके अलावा चाचा जितेन्द्र एमडीयू में प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। शिवांश ने अपने दादा, ताऊ, चाचा और माता-पिता के मार्ग दर्शन के साथ मामा की तरह आईएएस बनने का सपना देखकर इसे पूरा करने हेतु 14 वर्ष तक कड़ी मेहनत की। आपको बता दें कि शिवांश के मामा वरिंद्र कुमार पंजाब कैडर में आईएएस के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। शिवांश के पिता रविन्द्र राठी भी हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास कर सिविल सर्विस में जाना चाहते। इसके लिए उन्होंने हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा पास भी कर ली थी।
लेकिन किसी कारणवश भर्ती पूरी नहीं हो सकी और उनका यह सपना अधूरा रह गया। शिवांश की मां डॉ. सुदेश राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रही हैं।शिवांश के माता-पिता का कहना है कि जब भी शिवांश मायूस होता था तो वो उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। जिसके चलते आज शिवांश ने अपने बचपन का सपना पूरा कर परिवार का नाम रोशन कर दिया।

शिवांश की पढ़ाई की बात करें तो शिवांश ने अपनी पढ़ाई बहादुरगढ़ शहर के सेंट थॉमस स्कूल से की है। शिवांश पढ़ाई में शुरू से इंटेलिजेंट थे। उन्होंने 12वीं कक्षा में स्कूल टॉप किया था। इतना ही नहीं उन्होंने स्नातक में भी अपने कॉलेज में टॉप किया था। उन्होंने हंसराज कॉलेज से बीए अंग्रेजी ऑनर्स की पढ़ाई के दौरान  6 सेमेस्टर में कॉलेज टॉप किया था।


जगाधरी के बसंत ने गाड़े सफलता के झंडे, यूपीएससी की परीक्षा में हासिल की 47वीं रैंक

हरियाणा प्रदेश के यमुनानगर जिले के जगाधरी के रहने वाले बसंत ने यूपीएससी की परीक्षा में 47वीं रैंक हासिल कर सफलता के झंडे गाड़ दिए। बसंत की सफलता पर संपूर्ण क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
आपको बता दें कि हरियाणा प्रदेश के यमुनानगर के जगाधरी खंड के गांव मेहर माजरा निवासी बलविंद्र सिंह के पुत्र बसंत ने यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में 47वीं रैंक हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन कर दिया। अगर हम ओबीसी श्रेणी की बात करें तो बसंत ओबीसी श्रेणी में देश में दूसरे स्थान पर रहे। बसंत सिंह इस परीक्षा हेतु कड़ी मेहनत कर सफलता हासिल की है। बसंत वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं। उनका जन्म जगाधरी के गांव  मेहर माजरा हुआ था। जगाधरी के मेहर माजरा गांव के ग्रामीणों में बसंत की सफलता पर खुशी का माहौल है। बसंत का यूपीएससी में चयन होने के बाद गांव में रह रहे उनके परिवार को लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं। 

इसरो का पद छोड़ बसंत सिंह बने आईपीएस अधिकारी 

बसंत सिंह पढ़ाई में बचपन से ही अव्वल रहे हैं। वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद इसरो में पद ग्रहण कर देश की सेवा कर रहे थे। लेकिन अब इसरो का पर छोड़कर आईपीएस अफसर बनकर देश की सेवा करेंगे।
बसंत सिंह के पिता बलविंद्र सिंह खादी ग्राम उद्योग में अधिकारी के तौर पर सेवई दे रहे हैं और मां रेखा घर गृहस्ती संभालती है। बसंत सिंह ने अपनी की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई चंडीगढ़ के केंद्रीय विद्यालय से की। बसंत सिंह और उनकी बहन वैशाली सिंह दोनों ने केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की हैं। आपको बता दें कि बसंत सिंह की बहन वर्तमान में हरियाणा में एचसीएस अधिकारी के तौर पर आबकारी एवं कराधान विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं। बसंत सिंह बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे हैं। उन्होंने 12वीं कक्षा के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली में दाखिला लेकर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर आईआईटी दिल्ली से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में एमटैक पास की। मैच की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका चयन इसरो में हो गया। लेकिन बसंत सिंह का बचपन से ही लोक सेवा में जाने का सपना था। आज उन्होंने अपना सपना पूरा करते हुए यूपीएससी की परीक्षा में 47वीं रैंक हासिल की है। जब उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी तो उनका रैंक 300 के करीब रहा था। इस दौरान उनका 2021 में सिविल सर्विस की एलाइड सर्विस में इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस में चयन हो गया। इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस में अभी उनकी ट्रेनिंग चल रही है। बसंत ने जब दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी तो उनको ऑलओवर इंडिया 47वीं रैंक हासिल हूई। इतना ही नहीं उन्होंने ओबीसी श्रेणी में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। बसंत सिंह की सफलता से पिता बलविंद्र सिंह, मां रेखा, बहन वैशाली सिंह के साथ-साथ संपूर्ण परिवार और गांव के लोगों में खुशी की लहर है।


 रेवाड़ी के शिवम ने हासिल की 457वीं रैंक 

हरियाणा प्रदेश के रेवाड़ी जिले में इन दिनों एक बाप-बेटा चर्चा का विषय बने हुए हैं। जिस बेटे का बाप टैक्सी चला कर परिवार का गुजारा कर रहा हो और उसका बेटा जिले का मुखिया बन जाए तो इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है। ऐसा ही कुछ रेवाड़ी जिले के रहने वाले शिवम ने कर दिखाया है। शिवम ने यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में देश में 457वीं रैंक हासिल कर परिवार के साथ-साथ संपूर्ण रेवाड़ी जिले का नाम रोशन कर दिया। शिवम के पिता हरदयाल रेवाड़ी शहर में टैक्सी चला कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उस समय इस परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब यूपीएससी के रिजल्ट डिक्लेयर होने पर उनके बेटे शिवम ने 457वीं रैंक हासिल कर सफलता हासिल की। अब शिवम के पिता हरदयाल एसपी शिवम के बाप के नाम से जाने जाएंगे। आपको बता दें कि शिवम ने यूपीएससी की इस परीक्षा में अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। इससे पहले भी शिवम एक बार यूपीएससी की परीक्षा दे चुके हैं। शिवम पेशे से वर्तमान में इंजीनियर है। उन्होंने बिना कहीं पर कोचिंग लिए यूपीएससी की इस परीक्षा में सफलता हासिल की है। शिवम का परिवार मूल रूप से रेवाड़ी जिले के गांव मूंदी का रहने वाला है।

शिवम ने 12वीं कक्षा तक की थी नवोदय विद्यालय से पढ़ाई 

शिवम की पढ़ाई की बात करें तो वह बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रहे हैं। उन्होंने 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय नैहचाना से पूरी की थी। 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूर्ण होने के बाद उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। शिवम के परिवार में माता-पिता के अलावा उसकी दो बहने हैं जिनमें बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और छोटी बहन कॉलेज में प्रोफेसर है। शिवम की माता ने स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की है और वर्तमान में अपने बच्चों को घर पर रहकर तैयारी करवाती थी। शिवम बताते हैं कि यूपीएससी की तैयारी हेतु उन्हें अपनी मां से ही प्रेरणा मिली है। वही शिवम के पिता कम पढे-लिखे हैं और टैक्सी चला कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उनके पिता का कहना है कि हालांकि मैं कम पढ़ा-लिखा  हूं। लेकिन मुझे शिक्षा का महत्व अच्छी तरह से पता है। इसलिए शुरू से ही मैंने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी का परिणाम है कि आज एक साधारण परिवार से होते हुए भी शिवम ने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास की है।