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Ambedkar Jayanti : इस तरह की थी अंबेडकर की फैमिली, यहां पर है तीसरी पीढ़ी 

भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर का 14 अप्रैल को जन्मदिन है। देश में बहुत कम लोग है जो बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के परिवार या उनकी अगली पीढ़ियों के बारे में जानते है। आझ हम आपको उनके परिवार और तीसरी पीढ़ी के बारे में बताने जा रहे है। आइये जानते है विस्तार से 
 
इस तरह की थी अंबेडकर की फैमिली

Dr Bhimrao Ambedkar Birthday : भारतीय राजनीति में गहरा असर डालने वाले और भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव रामजी अंबेडकर की चौथी पीढ़ी अब लोगों के बीच है। उसमें कुछ एक्टिविस्ट हैं तो कुछ दलित आंदोलन को मजबूत करने में लगे हैं।

अंबेडकर नाम यूं भी इस देश में उतना ही जाना पहचाना है, जितना कि गांधी या नेहरू। आइए जानते हैं कि अंबेडकर का परिवार कितना बड़ा था। उनके बाद इस परिवार का क्या हुआ। परिवार के लोगों ने क्या किया।

डॉ. अंबेडकर अपनी पहली पत्नी रमाबाई और बड़े बेटे यशवंत (सबसे बाएं) के साथ हैं। जबकि सबसे दाएं हैं उनके बड़े भाई आनंद की पत्नी। अंबेडकर की पांच संतानें हुईं लेकिन यशवंत को छोड़कर अन्य चार का निधन बचपन में ही हो गया।

उनकी शादी रमाबाई के साथ तब हुई थी जबकि उनकी उम्र 15 साल थी। तब रमा 09 साल की थीं। 37 साल की उम्र में रमा का निधन हो गया। हालांकि वो लंबे समय तक बीमार रहीं। अंबेडकर की तरक्की और उच्च शिक्षा में उनका योगदान और समर्पण खासा ज्यादा था।

उनके बलिदान और परिवार के प्रति समर्पण का आभार डॉ। अंबेडकर ने अपनी एक किताब "थाट्स आन पाकिस्तान" के जरिए जाहिर भी किया। 1941 में प्रकाशित ये किताब उन्होंने अपनी पहली पत्नी रमा बाई को समर्पित की।

जब 1935 में लंबी बीमारी के बाद रमाबाई का निधन हुआ तो अंबेडकर ने तय किया कि अब वो कभी शादी नहीं करेंगे। ये अंबेडकर की दूसरी पत्नी सविता हैं।

40 के दशक में जब अंबेडकर की तबीयत खासी खराब रहने लगी थी और उनका डायबिटीज कंट्रोल से बाहर होने के साथ शरीर को प्रभावित कर रहा था, तब मुंबई में एक डॉक्टर के तौर पर उन्होंने अंबेडकर को ठीक कर दिया।

वो ब्राह्मण परिवार से थीं। उनसे अंबेडकर ने दूसरी शादी की। हालांकि इस शादी का अंबेडकर के परिवार में विरोध भी हुआ। सविता ने उनकी शादी 1948 में हुई।

सविता के बारे में बाद अंबेडकर ने एक किताब की भूमिका में बाद में लिखा कि उनके इलाज से उनका जीवन 08-10 साल बढ़ गया। सविता का निधन मुंबई में 2003 में हुआ। अपने बाद के बरसों में वो अंबेडकर द्वारा स्थापित पार्टी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया में सक्रिय भी हुईं।

ये यशवंत अंबेडकर हैं। 05 भाई बहनों में अकेले वही जिंदा रह पाए। बाकी सभी का निधन बचपन में ही हो गया। वो पिता के रास्ते पर चलते रहे। लंबे समय अंबेडकवादी बुद्धिस्ट आंदोलन को भी उन्होंने मजबूत किया। वो बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट बने।

यशवंत एक अखबार निकालते थे, जिसमें वो चीफ एडीटर थे। उन्होंने दो किताबें भी लिखीं। बाद में महाराष्ट्र विधान परिषद में वो सदस्य भी बने। वो भी राजनीति में सक्रिय हुए।

उनका असर इस बात से पता चलता है कि जब 1977 में उनका निधन हुआ तो उनकी शवयात्रा में 10 लाख लोगों की भीड़ शामिल हुई। उनके चार बच्चे थे। तीन बेटे और एक बेटी।

प्रकाश अंबेडकर इस परिवार में बाबासाहेब के बाद तीसरी पीढ़ी से हैं। वो यशवंत के सबसे बड़े बेटे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में उनका खासा असर रहा है। दलितों के आंदोलनों से वो जुड़े रहे हैं। वह लोकप्रिय भी हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी उनकी पहचान रही है। वह भारिप बहुजन महासंघ के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2018 में वंचित बहुजन आघाड़ी की स्थापना की। वह दो बार लोकसभा में चुनकर पहुंच चुके हैं और एक बार राज्यसभा में रहे हैं। प्रकाश भी कई किताबें लिख चुके हैं। 

ये आनंदराज अंबेडकर हैं। वो डॉ। अंबेडकर के दूसरे पोते हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की लेकिन राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने रिपब्लिकन सेना का गठन किया, वो उसके नेता हैं। आनंदराज के दो बेटे साहिल और अमन हैं।

यशवंत राव के तीसरे बेटे भीमराव के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिलती। डॉ. बीआर अंबेडकर की एकमात्र पोती और यशवंत राव की बेटी रमा आनंद की शादी आनंद तेलतुंबडे से हुई। आनंद गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं।

वो कई अखबारों में कॉलम लिखते रहते हैं। वैसे इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से मैनेजमेंट का कोर्स किया और फिर भारत पेट्रोलियम में बड़े पद पर थे।

फिर उन्होंने एकेडमिक क्षेत्र की ओर रुख किया। वो देश की जाति व्यवस्था पर काफी कुछ लिखते रहे हैं। उनकी बेटियां प्राची और रश्मि हैं, वो दोनों भी दलितों और वंचितों के लिए लिखती रहती हैं।

डॉ. अंबेडकर की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व सुजत के साथ उनके कई कजिन करते हैं। 26 साल के सुजर इन दिनों ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं। वो जनसभाएं करते हैं, जिसमें काफी भीड़ जुटती है।

उनके कर्ली बाल भी उन्हें अलग ही लुक देते हैं। दलितों और वंचितों के लिए करीब तीन साल पहले उन्होंने एक वेबसाइट शुरू की, जिसमें वो उन्हें ताकत देने का काम करते हैं।

प्रकाश अंबेडकर के बेटे सुजत राजनीति में पिता का साथ दे रहे हैं वैसे वो फर्गुसन कालेज से पत्रकारिता की डिग्री ले चुके हैं। कालेज में वो रॉक बैंड के भी सदस्य थे।