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Success Story: 2 लाख रुपए रिस्तेदारो से उधार लेकर खड़ा कर दिया 35 हजार करोड़ का बैंक

Success Story: 2 लाख रुपए रिस्तेदारो से उधार लेकर खड़ा कर दिया 35 हजार करोड़ का बैंक
 
Success Story

Success Story :  कठिन मेहनत से किसी भी मुकाम को हासिल कर पाना मुस्किल नही है सफलता हासिल करने  के लिए दिन-रात मेहनत करना जरूरी है। रात दिन मेहनत करके हर वो मुकाम हासिल कर जिसे आप पाना चाहते है आज हम आपको  एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने कठिन मेहनत से 35 हजार करोड़ का बैंक खड़ा कर दिया। चंद्रशेखर घोष ने कठिन मेहनत से हासिल कर दिखाया की मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। चंद्रशेखर बंधन बैंक (Bandhan Bank) के फाउंडर हैं। हाल ही में उन्होंने बैंक के CEO पद से इस्‍तीफा दिया है। उनका बैंक खोलने तक का सफर आसान नहीं रहा। जानें, उन्हें किन-किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा।


बंधन बैंक

 बंधन बैंक का नाम तो आपने जरूर सुना होगा क्या आपको पता है  कि इस बैंक की स्थापना किसने की थी? बंधन बैंक की नींव रखने वाले शख्स का नाम है चंद्रशेखर घोष। हम आपको बता दे बंधन बैंक की आज लगभग देश के हर राज्य के प्रमुख शहरों में ब्रांच हैं। पर इसको हासिल कर पाना इतना आसान नहीं था हम आपको बता दे की चंद्रशेखर ने साल 2001 में इसकी शुरुआत एक NGO के तौर पर की थी। धीरे धीरे करके उन्‍होंने इसे देश के सबसे बड़े माइक्रोफाइनेंस संस्थान के रूप में बदल दिया। अगस्त 2015 में यह बैंक में बदल गया। अभी इस बैंक की मार्केट कैपिटल करीब 35 हजार करोड़ रुपये है।


बंधन बैंक की सरुवात किसने की


बंधन बैंक की शुरू चंद्रशेखर घोष ने की थी। चंद्रशेखर का जन्म  साल 1960 में  अगरतला (त्रिपुरा) के एक गरीब परिवार में हुआ। नाम रखा गया चंद्रशेखर घोष। चंद्रशेखर ने अपना  बचपन काफी गरीबी में बिताया था । इनके पिता की मिठाई की छोटी सी दुकान थी। घर का खर्च किसी तरह चल पाना मुश्किल था। घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के बाद भी चंद्रशेखर ने किसी तरह अपनी पढ़ाई जारी रखी। स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1978 में ढाका (बांग्लादेश) चले गए। वहां से चंद्रशेखर ने सांख्यिकी (Statistics) में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इस दौरान उन्होंने अपना खर्च चलाने के लिए आश्रम में रहते हुए बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया।

ऐसे मिली बैंक खोलने की प्रेरणा
ढाका में रहने के दौरान चंद्रशेखर को 1985 में एक अंतर्राष्ट्रीय विकास गैर-लाभकारी संगठन (BRAC) में नौकरी मिल गई। यहीं पर उन्होंने ग्रामीण महिलाओं पर छोटी-छोटी वित्तीय सहायता के परिवर्तनकारी प्रभाव को देखा। चंद्रशेखर इससे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने इस मॉडल को भारत में भी लागू करने के बारे में सोचा।

 लाख रुपये से शुरू किया सफर
चंद्रशेखर साल 1997 में कोलकाता लौट आए। यहां उन्होंने एक वेलफेयर सोसाइटी के लिए काम करना शुरू कर दिया। हालांकि कुछ समय बाद अपनी कंपनी भी शुरू कर दी। साल 2001 में चंद्रशेखर ने 'बंधन' की स्थापना की। इस कंपनी के लिए चंद्रशेखर ने दोस्तों और रिश्तेदारों से करीब 2 लाख रुपये उधार लिए। यह एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी थी जो महिलाओं को लोन देती थी। साल 2009 में बंधन को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा एक गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) के रूप में पंजीकृत कराया गया। साल 2015 में इसे बैंकिंग लाइसेंस मिल गया और इसका नाम 'बंधन बैंक' हो गया।


देशभर में करीब 6300 ब्रांच
बंधन बैंक की आज देशभर के 35 राज्यों में करीब 6300 ब्रांच हैं। बैंक के 3.44 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं। 30 जून 2024 के अनुसार बैंक का डिपॉजिट बेस करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये है। पिछले हफ्ते ही बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के नतीजे जारी किए थे। इसके मुताबिक बैंक का नेट प्रॉफिट 47 फीसदी बढ़ गया है।