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ED Vs CBI : ईडी और सीबीआई में होता है ये बड़ा अंतर, 90% लोगों को नहीं है पता 

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) देश की बड़ी जांच एजेंसी है। देश में ज्यादातर लोगों को इन दोनों में अंतर नहीं पता है। आज हम आपको बताते है कि इन दोनों में क्या अंतर होता है।  
 
ईडी और सीबीआई में होता है ये बड़ा अंतर

ED Vs CBI : ईडी यानी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट एक इकोनॉमिक इंटेलिजेंस ऑर्गेनाइजेशन है। यह इकोनॉमिक क्राइम और फॉरेन एक्सचेंज लॉ वायलेशन की जांच करता है और इकोनॉमिक लॉ के कार्यान्वयन के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है।

ईडी वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत काम करती है। वहीं CBI मतलब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन भारत की प्रमुख जांच पुलिस एजेंसी है। यह भारत में नोडल पुलिस एजेंसी भी है,

जो इंटरपोल सदस्य देशों की ओर से जांच का समन्वय करती है। इसकी सजा दर 65 से 70% तक है और यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसियों में गिनी जाती है।

सीबीआई (Central Bureau of Investigation)

सीबीआई(CBI) यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन भारत सरकार की मुख्य जांच एजेंसी है। इसके पास पॉवर दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से प्राप्त होती हैं। इस जांच एजेंसी की मुख्य भूमिका भ्रष्टाचार को रोकना और प्रशासन में सत्यनिष्ठा बनाए रखना होता है।

आर्थिक और राजकोषीय कानूनों के उल्लंघन से जुड़े मामलों यानी सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, निर्यात और आयात नियंत्रण, आयकर, विदेशी मुद्रा नियमों आदि से संबंधित कानूनों का उल्लंघन की जांच करने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है।

राज्य सरकार के आदेश पर सीबीआई पब्लिक इम्पोर्टेंस के किसी भी मामले को अपने संज्ञान में ले सकती है और इसकी जांच भी कर सकती है। इसके अलावा इंटरपोल के साथ पत्राचार के लिए सीबीआई भारत का प्रतिनिधित्व करता है।

ईडी (Enforcement Directorate)

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की स्थापना 1 मई, 1956 को हुई थी। इसका गठन आर्थिक मामलों के विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ के तौर पर किया गया था। यह विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (FERA, 1947) के तहत काम करती है।

ईडी का प्राथमिक उद्देश्य दो प्रमुख भारतीय सरकारी कानूनों को लागू करना है, जिसमें 1999 का विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और वर्ष 2002 का मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) शामिल है।

यह भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के सर्वोच्च लक्ष्य के साथ एक विशेष जांच निकाय है। हवाला लेनदेन, निर्यात आय, निर्यात आय की वसूली न होना, विदेशी मुद्रा उल्लंघन और अन्य फेमा उल्लंघन जैसे संदिग्ध फेमा उल्लंघनों की जांच करना इसकी जिम्मेदारी होती है।