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Haryana News: होली पर हरियाणा के इस मंदिर में लगता है भव्य मेला, ये है खास विशेषताएं

आज हम आपको हरियाणा के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे है। जहां होली के त्यौहार पर बहुत ही भव्य मेला लगता है। बता दें कि ये मंदिर करीब 5500 साल पुराना है। आइये जानते है विस्तार से   
 
होली पर हरियाणा के इस मंदिर में लगता है भव्य मेला, ये है खास विशेषताएं

Haryana News : हरियाणा के होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कई जगह पर मेलों का आयोजन किया जाता है। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आपको बता रहे है। कहा जाता है कि इस मंदिर में कुरुक्षेत्र के युद्ध में जाने से पहले पांडवों ने भी यहां प्रार्थना कर अपनी जीत के लिए मन्नत मांगी थी।

शहर के कामी रोड पर स्थित श्री चण्डी महाकाली प्राचीन सिद्धपीठ मन्दिर मौजूद है, जिसे काली माता मन्दिरके नाम से जाना जाता है। यह एक प्राचीन मन्दिर है, जोकि करीब साढ़े पाँच हजार वर्ष पुराना है।

इस मंदिर की मान्यता है कि अगर कोई इस मन्दिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना कर मन्नत मांगता है, तो काली माता उसकी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं। हर साल होली के पर्व पर इस मन्दिरमें बासौडा यानी सप्तमी का मेला भी लगता है। वहीं इस मंदिर में दिन-रात माता काली की अखंड ज्योत भी जगती रहती है।

मन्दिर का इतिहास

एक इंटरव्यू के दौरान वहां के एक पंडित ने बताया कि मां काली का यह मन्दिर करीब 5500 साल पुराना है। जहां कुरुक्षेत्र के युद्ध में जाने से पहले पांडवों ने भी यहां प्रार्थना कर अपनी जीत के लिए माता काली से मन्नत मांगी थी।

प्राचीन काल में भक्तों द्वारा इस मन्दिर में स्थित एक पिण्डी पर जलाभिषेक किया जाता था। पंडित ने बताया कि वर्ष 2002 में सभी भक्तों ने मिलकर इस मन्दिरका जीणोद्धार किया।

इसके बाद भक्तजन दिल्ली के कालकाजी व कलकत्ता से पैदल यात्रा करते हुए अखंड ज्योत को लेकर काली माता के मन्दिरमें पहुंचे थे। तभी से इस मन्दिरमें दिन-रात माता की अखण्ड ज्योत जगती रहती है।

मन्दिर खुलने का समय

काली माता मन्दिरके कपाट रविवार से शुक्रवार को प्रातः 05:15 से दोपहर 12:00 तक खुलते हैं। इसके बाद शाम 04:00 बजे तक यानी चार घंटे मन्दिरके कपाट को माता के शयन यानि आराम करने के लिए बंद कर दिया जाता है।

फिर शाम 04:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक मन्दिर में पूजा अर्चना के बाद मन्दिर के कपाट बन्द कर दिए जाते है। लेकिन शनिवार को भक्तों की भीड़ अधिक होने के कारण मन्दिर के कपाट प्रातः 05:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक खुले रहते है।

मन्दिर में चढाएं प्रशाद

रविवार से शुक्रवार मन्दिर में पान, पेड़ा, बून्दी, बताशा व मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है, लेकिन शनिवार को नारियल, पान, पेड़ा, निम्बू का हार, चुन्नी, फूलो की माला व भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार अन्य प्रसाद चढ़ाते है।