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Holi 2024: होली पर होता था महा मूर्ख सम्मेलन, साथ ही निकाली जाती थी गधा यात्रा

हमारे देश में कई अलग-अलग पुरानी परंपरा है। आज हम आपको एक ऐसी पंरपरा के बारे में बताने जा रहे है। जहां पर पहले एक  महा मूर्ख सम्मेलन होता है और इसके बाद गधा यात्रा निकाली जाती है। आइये जानते है विस्तार से 
 
होली पर होता था महा मूर्ख सम्मेलन

Holi 2024 :  हमारे देश में होली हर राज्यों में अपने अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। वहीं पुरानी दिल्ली में भी होली को अनोखे तरीके से मनाई जाती थी। पुरानी दिल्ली की गलियां होली के दिन हंसी-ठिठोली, रंग-गुलाल के पर्व के उल्लास से लबरेज होती हैं।

इस दिन यहां महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन करने की परंपरा हुआ करती थी। इस महा मूर्ख सम्मेलन के आयोजन में दूर-दूर से हास्य व्यंग्य लेखक, साहित्यकारों को यहां बुलाया जाता था। वहीं  पैलेस से एक गधा यात्रा भी निकाली जाती थी, जिस यात्रा में कई साहित्यकार भी भाग लेते थे।

इन्होंने की थी शुरुआत

इस सब कार्यक्रमों की शुरुआत पंडित गोपाल प्रसाद व्यास (लोकप्रिय हास्य कवि) ने की थी। उन्होंने लगभग 40 साल तक जारी रखी थी।

उनके यहां से जाने और फिर उनके देहांत के बाद लोकल काउंसलर राम प्रकाश गुप्ता और समाजसेवी इंद्र कुमार जैन ने इन कार्यक्रमों को काफी दिनों तक जारी रखा था। लेकिन उनका देहांत हो गया, तो उसके बाद यह कार्यक्रम यहां पर करीबन पिछले 6-7 साल से बंद ही हो गए हैं।

गधे पर बिठाकर चक्कर

इस कार्यक्रम के दौरान गधा भी यहां पर मंगवाया जाता था, जिस पर किसी न किसी को बिठाकर फिर पूरे चांदनी चौक का चक्कर लगाया जाता था। चक्कर लगाते समय पूरी तरह से एक यात्रा निकाली जाती थी, जिसमें होली के गाने और कहीं तरह के हंसी मजाक किए जाते थे।

यात्रा फतेहपुरी चौक से होते हुए, फल सब्जी मार्केट, कटरा से गुजरा करती थी। इस बीच लोग हर गली कूचों में ठंडाई, मिठाइयां लेकर स्वागत के लिए खड़े रहते थे। इस सम्मेलन में महा मूर्ख की उपाधी से भी नवाजा जाता था, इनाम के तौर पर गधे की मूर्ति भेंट की जाती थी।