Haryana News: हरियाणा में होने जा रहा है कमाल, अब मोबाइल एप बताएगा कितना लीटर दूध देगी भैंस
Haryana News: अब एक मोबाइल ऐप बताएगा कि एक भैंस कितने लीटर दूध देगी। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ बफ़ेलो रिसर्च (सी. आई. आर. बी.) के वैज्ञानिक इस मोबाइल ऐप को विकसित कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान में ऐप का परीक्षण किया जा रहा है। यह ऐप 88 प्रतिशत तक सटीक जानकारी देगा। 2 से 3 महीने में यह ऐप मोबाइल के प्ले स्टोर पर अपलोड हो जाएगा, जहां से पशुपालक अपने मोबाइल पर इस ऐप को डाउनलोड कर सकेंगे और इसका लाभ उठा सकेंगे। ऐप का नाम अभी तय नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि इस समय पशुपालन के क्षेत्र में नए लोग आ रहे हैं (buffalo rearing). वे जानवरों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। यदि उन्हें पशु खरीदने के लिए कहीं जाना पड़े तो वे पशुपालन विशेषज्ञों की मदद लेते हैं। ये विशेषज्ञ उन्हें बताते हैं कि खरीदे जाने वाले जानवर का क्या मतलब है, इसमें दूध देने की क्षमता कितनी है और भविष्य में यह कितना बढ़ सकता है। इसके अलावा कई बार पशु का खरीदार केवल विक्रेता की बातों पर ही विश्वास करता है। ऐसे में कई बार पशु विक्रेता भी पशु के बारे में गलत जानकारी देता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक मोबाइल ऐप बनाने का फैसला किया जो ऐसे पशुपालकों की मदद कर सकता है।
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तीन साल से चल रहा है शोध
यह शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुनेश बल्हारा के नेतृत्व में 3 वर्षों से चल रहा है। डॉ. सुनीश के अनुसार, इस दौरान उन्होंने लगभग 270 मुर्रा नस्ल की भैंसों की शरीर रचना का आकलन किया। इसके आधार पर एक डेटाबेस बनाया गया था। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से विभिन्न मॉडल बनाए गए। इन मॉडलों की मदद से, यह पता चला कि मुर्रा नस्ल की भैंस एक बकरी में अधिकतम मात्रा में दूध देगी।
इस जानकारी के आधार पर, भैंसों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया था कि अगर भैंस इतनी मात्रा में कम दूध देती है, तो वह कम पैदावार देने वाली भैंस है और अगर भैंस इतनी मात्रा में अधिक दूध देती है, तो वह अधिक पैदावार देने वाली भैंस है। अब इसका ऐप प्रोग्रामिंग और भाषा की मदद से तैयार किया गया है। इस ऐप में यदि पशुपालक भैंस से संबंधित कुछ जानकारी दर्ज करेगा, जैसे कि दांतों की गति, तने का आकार आदि, तो यह ऐप बताएगा कि भैंस उच्च उत्पादन या कम उत्पादन की श्रेणी में आती है या नहीं। इसके अलावा, वह जिस साइकिल को चला रही है, उसमें वह अधिकतम मात्रा में दूध देगी।
अधिकारी के अनुसार
हमारे संस्थान के वैज्ञानिक तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर लगे हुए हैं और अब यह अंतिम चरण में पहुंच गया है। जल्द ही इस एप को पशुपालकों तक पहुंचाया जाएगा। इस एप से पशुपालकों खासतौर पर इस क्षेत्र में आने वाले नए लोगों को काफी फायदा होगा। देश में कुल भैंसाें में 41 प्रतिशत मुर्राह नस्ल की भैंस हैं। -डॉ. टीके दत्ता, निदेशक, केंद्रीय भैंस अनुसंधान फार्म।