Indian Railway : क्या ट्रेन चलाने के लिए लोको पायलट को होती है ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत
Indian Railway : भारत में कार, बस या ट्रक चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) की जरूरत होती है। हवाई जहाज उड़ाने के लिए भी पायलट के पास लाइसेंस होना जरूरी है। क्या भारत में ट्रेन चलाने के लिए भी पहले ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पड़ता है?
क्या ट्रेन चालक (Loco Pilot) के पद पर आवेदन करने से पहले लाइसेंस होना अनिवार्य है? ये वो सवाल हैं, जो कभी न कभी आपके मन में किसी लोको पायलट को ट्रेन चलाते हुए देखकर आए होंगे।
इन दोनों ही सवालों का जवाब ‘ना’ है। कार या बस के ड्राइवर और हवाई जहाज के पायलट के पद के लिए आवेदन करते वक्त भले ही ड्राइविंग या फ्लाइंग लाइसेंस होना जरूरी हो, लेकिन लोको पायलट के लिए किसी तरह के ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती।
न ही लोको पायलट के लिए कहीं भी देश में लाइसेंस बनाया जाता है। रेलवे सहायक लोको पायलट की भर्ती करता है। फिर भर्ती हुए युवाओं को ट्रेन ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग देकर ट्रेन चलाने में दक्ष किया जाता है।
कैसे बनते हैं लोको पायलट?
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड द्वारा सहायक लोको चालक के पद पर नियुक्ति की जाती है। यह नियुक्ति लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट के बाद होती है। सहायक लोको पायलट भर्ती हुए युवाओं को ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया जाता है।
ट्रेनिंग स्कूल में उन्हें रेल का इंजन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां उन्हें न केवल ट्रेन चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि ट्रेन के इंजन, रेल पटरियों और डिब्बों के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है।
ट्रेनिंग के बाद मिलता है कंपेटेंसी सर्टिफिकेट
प्रशिक्षण के उपरांत मंडल यांत्रिक इंजीनियर या मंडल विद्युत इंजीनियर द्वारा एक टेस्ट लिया जाता है। इसमें उतीर्ण होने वाले को कंपेटेंसी सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है। यह सर्टिफिकेट मिलने के बाद उन्हें ट्रेन चलाने का अवसर दिया जाता है।
पहले चलानी होती है मालगाड़ी
सहायक लोको पायलट को सीधे पैसेंजर गाड़ी चलाने को नहीं दी जाती। पहले उन्हें मालगाड़ी चलाने को दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि पैसेंजर ट्रेन में हजारों यात्री होते हैं।
यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए अनुभवी लोको पायलट को ही इन्हें चलाने की इजाजत होती है। मालगाड़ी चलाने के बाद सहायक लोको पायलट को पैसेंजर ट्रेन में लोको पायलट की देखरेख में ट्रेन चलाने को दी जाती है।
ऐसे कुछ समय देखरेख में ट्रेन चलाने का अनुभव प्राप्त करने के बाद ही उन्हें स्वतंत्र रूप से ट्रेन चलाने की अनुमति मिलती है।