Miraculous Well : ये है दुनिया का सबसे अनोखा कुआं, बुझाता है करोड़ों की प्यास
Miraculous Well : हैरान मत होइए। हम बात कर रहे मुस्लिम धर्म में बेहद पवित्र माने जाने वाले आब-ए-जमजम की। सऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को इस्लाम के लिए सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
क्योंकि इस शहर का इतिहास पैगंबर इब्राहिम और उनके परिवार से जुड़ा हुआ है। यहां पर एक कुआं है, जो लगभग 4,000 साल पुराना है। इससे हर वक्त पानी निकलता रहता है और कभी खत्म नहीं होता।
इसके पीछे एक खास कहानी है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक मान्यता है कि अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम को आदेश दिया कि वे अपनी बीबी हाजरा और बेटे इस्माइल को फलस्तीन से अरब पहुंचा दें।
उन्हें खाने-पीने के लिए थोड़ा ही सामान दिया गया, जो कुछ दिनों में खत्म हो गया। हाजरा और इस्माइल जब भूख-प्यास से बेहाल हो गए, तो उन्होंने अल्लाह से इस परेशानी से उबारने के लिए मदद मांगी।
कहते हैं कि तभी पैगंबर के बेटे इस्माइल ने अपना पैर जमीन पर पटका, और धरती से पानी का फव्वारा निकलने लगा। इसी से दोनों ने प्यास बुझाई। बाद में हाजरा यही पानी दूसरों को देकर भोजन और दूसरी चीजें लिया करती थीं।
इसी पानी को आब-ए-जमजम यानी जमजम कुएं का पानी कहा जाता है। जो मुस्लिम धर्म में बेहद पवित्र है। पूरी दुनिया से लोग जब हज के लिए मक्का जाते हैं, तो इस पवित्र पानी को अपने साथ लेकर ले जाते हैं।
यह पानी कभी गंदा नहीं होता और न ही कभी खत्म होता है। इसे दुनिया का सबसे स्वच्छ पानी भी माना जाता है। खास बात, साइंस भी मानता है कि इस पानी में ऐसे गुण हैं, जो काफी फायदेमंद हैं।
आब-ए-जमजम को अगर आंखों पर लगाया जाए तो रोशनी बढ़ती है और कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं। एसिडिटी कम करने में भी यह मदद करता है। दांतों पर होने वाली कैविटीज को रोकने में भी यह मददगार है।
अगर इस पानी का लगातार इस्तेमाल किया जाए तो कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं। कुछ ऐसे ही बातें गंगाजल को लेकर की जाती हैं। 30 मीटर गहरे इस कुएं में 13 मीटर तक पानी और 17 मीटर चट्टान है। पानी का कोई रंग नहीं है।
इसका स्वाद भी बिल्कुल अलग है। एफरिकन रिसर्च इंस्टिट्यूट के जिओलॉजी प्रोफेसर अब्बास शराकी की टीम ने 2018 में इस पर रिसर्च की। बताया कि आब-ए-जमजम का सोर्स रिन्यूवल वॉटर है।
मक्का एक पहाड़ी क्षेत्र है। यहां कई घाटियां हैं, जिनमें इब्राहिम की घाटी भी एक है। जहां बारिश का पानी जमा होता रहता है। इसी घाटी में ये कुआं है, इसलिए इसका पानी कभी खत्म नहीं होता।
मक्का में पहाड़ों पर जो बारिश होती है, वो घाटी में आती है। घाटी के तल में जमने वाले बलुआ पत्थर, रेत, कीचड़ आदि तलछट में बदल जाते हैं। यही 14 मीटर तक जमे हुए हैं।
इन पत्थरों के बीच पानी घुसता चला जाता है और रीन्यूएबल वॉटर बनकर बाहर निकलता है। प्रोफेसर ने बताया कि कुएं का ये पानी पिछले लगभग 4,000 वर्षों से इस्तेमाल हो रहा है। इसका सिंचाई के लिए कभी इस्तेमाल नहीं होता।