New Toll Update: 4 शहरों में शुरू होगा नया टोल कलेक्शन! 20 साल तक देना होगा पैसा
New Toll Plaza: जल्द ही आपको यूपी के 4 बड़े शहरों के बीच सफर करने के लिए नए सिरे से टोल देना होगा. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने देशभर में करीब 800 किलोमीटर लंबे हाईवे को निजी कंपनियों को बेचने की योजना बनाई है, जो अगले 20 सालों तक इस पर चलने वाले वाहन चालकों से टोल वसूलेंगी. इसमें से 333 किलोमीटर हाईवे सिर्फ यूपी में है. इस बार NHAI ने देश के 3 राज्यों के हाईवे को निजी कंपनियों को बेचने का फैसला किया है. इसमें यूपी के अलावा ओडिशा और तमिलनाडु भी शामिल हैं.
NHAI हाईवे मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत टोल ऑपरेट ट्रांसफर (ToT) के जरिए निजी कंपनियों को टोल वसूलने की जिम्मेदारी देता है. इस बार 3 हाईवे को निजी हाथों में सौंपने के लिए नीलामी बोलियां आमंत्रित की गई हैं. मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत पहले दौर में कुल 801.7 किलोमीटर हाईवे को टोल वसूली के लिए निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा.
यूपी के कौन से शहर होंगे प्रभावित
एनएचएआई के मुताबिक यूपी में कुल 333.4 किलोमीटर हाईवे टोल वसूली के लिए सौंपे जाने हैं। ये हाईवे दो खंडों पर बनाए जाएंगे और कुल 4 शहरों को प्रभावित करेंगे। पहला खंड कानपुर-लखनऊ-अयोध्या होगा, जबकि दूसरा खंड अयोध्या-गोरखपुर होगा। इसका मतलब है कि अब कानपुर से गोरखपुर जाने के लिए नए सिरे से टोल देना होगा।
अन्य राज्यों में कितनी दूरी
हाईवे नीलामी की बात करें तो ओडिशा में एनएचएआई चंदीखोल-भद्रक और पानीखोली-रिमुली खंड के हाईवे को टोल वसूली के लिए निजी कंपनियों को सौंपेगा। इन दोनों खंडों की कुल दूरी 283.8 किलोमीटर होगी। वहीं, तमिलनाडु के त्रिची-तंजावुर और मदुरै-तूतीकोरिन खंड के कुल 184.5 किलोमीटर हाईवे नीलामी के लिए पेश किए जाएंगे।
पिछले साल 4 खंडों से मिले थे हजारों करोड़
पिछले साल एनएचएआई ने 4 खंडों को करीब 15,968 करोड़ रुपये में निजी कंपनियों को सौंप दिया था। इन राजमार्गों पर टोल वसूलने का काम केकेआर की अगुआई वाली हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट, क्यूब हाईवे, आईआरबी इंफ्रा ट्रस्ट, अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी फंड, नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रा ट्रस्ट और अडानी ग्रुप करते हैं। एनएचएआई इन कंपनियों से एकमुश्त पैसा लेती है और ये कंपनियां अगले 20 साल तक टोल वसूलती हैं।
22 करोड़ प्रति किलोमीटर
विश्लेषकों का मानना है कि राजमार्गों के मुद्रीकरण की लागत 22 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर है। हालांकि, वाहनों की संख्या और वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही के कारण इसमें बदलाव भी हो सकता है। आपको बता दें कि एनएचएआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजमार्गों को बेचकर 54 हजार करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 40,227 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य था। इस साल परियोजनाओं के जरिए 8 हजार करोड़ रुपये और टोल ट्रांसफर के जरिए 46 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।