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RBI ने रेपो रेट किए जारी, देखें करोडो लोगों  द्वारा लिए जाने वाले लोन पर कितना पड़ेगा असर

RBI releases repo rates, see how much will be the impact on loans taken by crores of people
 
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भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) नहीं आज अपनी नई रेपो रेट जारी कर दी है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया MPC की बैठक में आज रेपो रेट को लेकर बैंकिंग सेक्टर से जुड़े लोगों हेतू अहम घोषणा की गयी है। आपको बता दे की रेपो रेट को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर के फैसले का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लोगों का यह इंतजार उसे समय खत्म हो गया जब भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी देते हुए बताया कि शीर्ष बैंक ने इस बार फिर से रेपो रेट को बरकरार रखा है। इससे पहले भी छह बार ऐसे मौके आए हैं जो भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने अपनी रेपो रेट को बरकरार रखा है।

भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा की गई घोषणा के बाद अब आगे आने वाले समय में स्थायी जमा सुविधा दर 6.25% के साथ-साथ सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75 पर बनी रहेगी। ज्ञात हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रेपो रेट को लेकर यह बैठक तीन अप्रैल से शुरू हुई थी। जिसमें बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास,  माइकल देबब्रत पात्रा के साथ शशांक भिड़े, राजीव रंजन, आशिमा गोयल और जयंत वर्मा बाहरी सदस्य के रुप में शामिल हुए हैं।

आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 24-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में ग्रंथ की संभावना जताई है। बैंक अधिकारियों के अनुसार 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 7% प्रतिशत पर रहने का अनुमान है और खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गये निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि MPC ने नीतिगत दर (रेपो रेट) को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला लिया  है। स्पेशल के बाद लोगों को बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन में किसी भी तरह की ब्याज दरों में वृद्धि नहीं होगी।

उन्होंने बताया कि कमेटी द्वारा यह फैसला लोगों पर लोन पर लगने वाले ब्याज का अधिक भोजन न पड़े इसलिए लिया गया है। इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने खुदरा महंगाई को अपने लक्ष्य कितने अनुरूप लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने वाले निर्णय को भी कायम रखा है। आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को खुदरा मुद्रास्फीति 4% तक रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।