जींद के वीर जवानों ने 18 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर लड़ा था कारगिल युद्ध, मेजर जयपाल सिंह बरसोला ने पाकिस्तान पर दागे थे 10 हजार गोले
हरियाणा प्रदेश के जींद जिले में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सामने स्थित शहीदी पार्क में पूर्व सैनिकों ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर एकत्रित होकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। आपको बता दें कि जींद में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सामने शहीदों के सम्मान में शहीदी पार्क का निर्माण किया गया है जहां पर कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हर वर्ष पूर्व सैनिक शहीदी पार्क में इकट्ठे होकर कारगिल में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हैं।
इस अवसर पर कर्नल डी के भारद्वाज वाइस प्रेसिडेंट हरियाणा, कैप्टन वेद प्रकाश बरसोला, पूर्व सैनिक कल्याण संगठन जिला प्रधान, सूबेदार मेजर जयपाल सिंह बरसोला, सूबेदार मेजर रामकरण दलाल, जनरल सचिव, सूबेदार जय भगवान, डॉ अशोक कुमार, डॉ निर्मल, कारगिल के युद्ध में शहीद हुए घिमाना गांव के आशीष की पत्नी बिमला देवी, नायब सूबेदार बीरसिंह मुआना, सूबेदार मेजर सुभाष पेंगा और हसनपुर गांव से होशियार सिंह हवलदार की पत्नी सोना ढाका के साथ सैकड़ो की संख्या में पूर्व सैनिक और अन्य लोग भी मौजूद रहे।
भूखे रहकर चार दिन तक जवानों ने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ी थी लड़ाई
जींद जिले के मेजर सूबेदार जयपाल सिंह बरसोला ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान हमारी यूनिट के जवानों ने चार दिन तक भूखे रहकर भी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि हमारी यूनिट के जवानों का एकमात्र लक्ष्य पाकिस्तान को पराज्य का मुंह दिखाना था। यही कारण था कि जवानों का ध्यान भूख की तरफ कभी गया ही नहीं और चार दिन तक भूखे रहकर भी लड़ाई लड़ते रहे। मेजर सूबेदार जयपाल सिंह कारगिल युद्ध के दौरान कारगिल में अपनी यूनिट में गाइड और मोटर फायर कंट्रोलर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध 1999 में मई महीने से शुरू होकर लगभग 2 महीने चला। इस दौरान मेजर सूबेदार जयपाल और उनकी यूनिट के जवानों ने पाकिस्तान पर लगभग 10 हजार गोले बरसाए थे। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में उनकी यूनिट के एक अफसर और एक जेसीओ सहित 22 जवान शहीद हो गए थे।
मेजर सूबेदार के अनुसार कारगिल युद्ध दुनिया का अपने आप में पहला ऐसा युद्ध है जो 14 से 18 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर लड़ा गया था। कारगिल युद्ध के दौरान भारत देश के वीर जवान -30 डिग्री तापमान में भी युद्ध लड़ते रहे। इस दौरान जवानों ने पाकिस्तान के रेंजर्स से युद्ध के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी का भी सामना किया।
मेजर सूबेदार जयपाल सिंह बरसोला ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने और उनके जवानों ने अपने हाथों से पाकिस्तान रेगुलर आर्मी की 22 डेड बॉडी को अपने हाथों से दफनाया था।