चैत्र मास के नवरात्रि कब है जाने शुभ मुहूर्त पूजा विधि व उद्यापन विधि
इस साल चैत्र मास के नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होंगे तथा 17 अप्रैल को समाप्त होंगे कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 6:02 मिनट से लेकर 10:16 मिनट तक रहेगा अभिजीत मुहूर्त 11:57 मिनट से लेकर दोपहर 12: 48मिनट तक रहेगा नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ला पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक रहेंगे इस साल नवरात्रि मंगलवार को शुरू हो रहे हैं इसलिए मां दुर्गा की सवारी घोड़े की होगी
कलश स्थापना की विधि
शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि को जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए इसके बाद पूजा स्थान कि सजावट करें और चौकी रखें उसके ऊपर एक कलश में जल भरकर रखें कलश के ऊपर आम और अशोक के पत्ते तथा एक नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें इसके बाद घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा का ध्यान करें और पूजा विधि आरंभ करें
मां के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा
नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है मां के इन नौ रूपों को ही नवदुर्गा कहा जाता है
नवरात्रों के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है माता शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण उन्हें सेल पुत्री कहा जाता है इस दिन उपवास रखने वालों को माता को गाय के घी का भोग लगाने से आरोग्य आशीर्वाद प्राप्त होता है
नवरात्रों के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है
इस दिन माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी इसी रूप के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है इस दिन माता को शक्कर का भोग है लगाया जाता है
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है मां दुर्गा के मस्तक पर अर्धचंद्र होने के कारण उन्हें चंद्रघंटा मां कहा जाता है इस दिन मां को खीर का भोग लगाया जाता है
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है कुष्मांडा मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है ब्रह्मांड की उत्पत्ति माता कुष्मांडा के उदर से हुई है इस दिन मां को मालपुआ का
भोग लगाया जाता है
नवरात्रों के पांचवें दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है स्कंदमाता कार्तिकेय की माता है इस दिन माता को केले का भोग लगाया जाता है
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है माता कात्यायनी कात्यान ऋषि की पुत्री है इस दिन माता को शहद का भोग लगाया जाता है
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है इस दिन माता को गुड़ का भोग लगाया जाता है तथा
ब्राह्मण को दान दक्षिणा दी जाती है
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है इस दिन माता को नारियल का भोग लगाया जाता है तथा एक नारियल ब्राह्मण को दिया जाता है इसे माता प्रसन्न होकर नि: संतान को संतान का वरदान देती है
नवरात्रों के नौवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है इस दिन पूजा करने के बाद माता को तिल का भोग लगाया जाता है
नवरात्रों का उद्यापन विधि
नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करके माता का पूजन करें तथा घर में हवन कराएं तथा मां दुर्गा को भोग लगे इन इसके पश्चात नौ कन्याओं तथा एक छोटे लड़के को भोजन कराऐ नौ कन्याओं को मां दुर्गा का रूप तथा लड़के को भैरव का रूप माना जाता है सबसे पहले कन्याओं के पैर धुलाकर
उन्हें स्वस्थ आसन पर बैठाएं सभी कन्याओं को तिलक लगाकर हाथ पर मौली बांधें इनके बाद सभी कन्याओं व लड़के को हलवा पुरी का भोजन करवाएं दान दक्षिणा और प्रसाद देकर सभी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें