सूर्य से क्यों नहीं जलेगा आदित्य- L1

ISRO दो सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से आदित्य-L1 को लॉन्च करने के लिए तैयार है

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2 सितंबर

सूर्य की सतह से थोड़ा ऊपर (फोटोस्फेयर) का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस होता है

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तापमान

अगर सूरज के केंद्र के तापमान की बात करें तो यह 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस के करीब रहता है।

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सेंटर

इतनी ज्यादा तपिश के चलते किसी अंतरिक्ष यान का वहां तक पहुंचना संभव ही नहीं है।

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तपिश

यह वजह है कि स्पेसक्राफ्ट को सूर्य से निश्चित दूरी पर रोकते हैं या फिर उसके करीब से गुजारते हैं।

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दूरी

आदित्य-L1 को सूरज से इतनी निश्चित दूरी पर तैनात किया जाएगा कि उसे उतनी ही गर्मी लगे जितनी वो सहन कर सके

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सहन

आदित्य-एल1 को अपनी यात्रा के दौरान कुल 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी

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यात्रा

मालूम हो कि आदित्य-एल1 सूर्य से 14 करोड़ 85 लाख किमी दूर धरती के करीब मौजूद रहेगा।

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संपर्क

आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य 'एल1' के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।

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मकसद

इसमें विभिन्न तरंग बैंडों में सूर्य के प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और परिमंडल की स्टडी के लिए 7 उपकरण लगे हैं

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उपकरण चांद पर कैसे हुए इतने सारे गड्ढे

चांद पर कैसे हुए इतने सारे गड्ढे

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आदित्य-एल1 को अपनी यात्रा के दौरान कुल 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।

सूर्य की सतह से थोड़ा ऊपर (फोटोस्फेयर) का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस होता है। अगर सूरज के केंद्र के तापमान की बात करें तो यह 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस के करीब रहता है। इतनी ज्यादा तपिश के चलते किसी अंतरिक्ष यान का वहां तक पहुंचना संभव ही नहीं है।

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