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नेशनल हाईवे के नाम में दो अंको में और सहायक राजमार्गों के नाम  तीन अंको की संख्या में क्यों रखे जाते है, जाने पूरी प्रक्रिया 
 

Why are the names of National Highways kept in two digits and the names of auxiliary highways in three digits, know the whole process.
 
नेशनल हाईवे


भारत के अंदर कई प्रकार के नेशनल हाईवे देखने को मिल जाएंगे। जो संपूर्ण भारत देश को एक धागे के रूप में जोड़ने का काम करते हैं। इन हाईवे का नाम रखने की क्या प्रक्रिया होती है और इनका नाम रखने के पीछे क्या राज छुपा होता है ? यह जानने की हर व्यक्ति को जिज्ञासा रहती है। आज हम आपको भारत देश के अंदर नए हाईवे बनाने के बाद उनका नाम रखने की क्या प्रक्रिया होती है उसे बारे में बताने जा रहे हैं।


भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों (NATIONAL HIGHWAY) का जाल देश के ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की रीड की हड्डी माना जाता है। आपको बता दें कि भारत देश के अंदर प्रत्येक नेशनल हाईवे का अपना एक नबंर होता है। नेशनल हाईवे का यह नंबर उसकी भौगोलिक कहानी को दर्शाता है। नेशनल हाईवे की इन नंबरों को कैसे तैयार किया जाता है इसे समझने के लिए हमें इन नंबरों को तैयार करने हेतु विभाग की प्रक्रिया को जानना जरूरी है। 

आपको बता दें कि 
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NATIONAL HIGHWAY) दोबारा भारत में हाईवे का निर्माण और रखरखाव किया जाता है। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भौगोलिक जुगलबंदी के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों को नंबर देती है। आपको बता दें कि भारत के अंदर जितने भी राष्ट्रीय राजमार्ग हैं उन सभी राजमार्गों के लिए 1 या 2 संख्या का प्रयोग किया जाता है। इस संख्या का अपने आप में खास महत्व होता है।


राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की नंबर संख्या ऑड नंबर संख्या और उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाले राजमार्गों के लिए ईवन नंबर संख्या का प्रयोग किया जाता हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा नेशनल हाईवे की संख्या के तहतइस राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (NH-2) भारत देश के पूर्वोत्तर राज्यों में पाया जाता है। वहीं  नेशनल हाईवे -68 हरियाणा से लगे राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में पाया जाता है। 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा नेशनल हाईवे का नाम रखते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग विषम ऑड नंबर वाले सिंफनी को दर्शाते हैं। नेशनल हाईवे की इन विषम संख्याओं के कर्म की बात करें तो इनका क्रम पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। यही कारण है कि जम्मू के उत्तरी क्षेत्रों में देश के वाहन चालकों को सेवा दे रहा नेशनल हाईवे NH-8, तमिलनाडु के दक्षिणी क्षेत्र में देश के वाहन चालकों को सेवा देने वाले नेशनल हाईवे NH-87 के बिल्कुल विपरीत है।
वही तीन अंकों वाली संख्या वाले राजमार्गों की बात करें तो यह राजमार्ग सहायक राजमार्ग के रूप में देश में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग 44 की शाखों के रूप में तीन अंकों वाले देश के 344 144 और 244 राजमार्ग अपनी सेवाएं दे रहे हैं। भारत देश के अंदर बनाए गए इन सहायक राजमार्ग की संख्याओं की बात करें तो इनकी संख्याओं में पहला अंक तीन अंकों वाले राजमार्ग की डायरेक्शनल ओरिएंटेशन को दर्शाता है। वहीं विषम प्रारंभिक अंक वाले राजमार्ग ईस्ट टू वेस्ट ट्रेजेक्ट्री को दर्शाते है। इसके अलावा इन सहायक राजमार्गों की सम अंक संख्या उत्तर-दक्षिण ओरिएंटेशन को दर्शाती हैं।