Chanakya Niti: पत्नी में है ये आदतें तो, हो जाये सावधान, परिवार वाले जरूर जान ले ये बातें
हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है। चाणक्य नीति कहती है कि महिलाओं में क्षतिग्रस्त व्यक्ति को सुधारने की क्षमता होती है। इसलिए जब बेटी बहू बनती है तो परिवार का सम्मान उसके हाथों में होता है।
Updated: May 19, 2024, 07:51 IST
चाणक्य नीतिः कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है। चाणक्य नीति कहती है कि महिलाओं में क्षतिग्रस्त व्यक्ति को सुधारने की क्षमता होती है। इसलिए जब बेटी बहू बनती है तो परिवार का सम्मान उसके हाथों में होता है। एक अच्छी पीढ़ी बनाने के लिए पति और पत्नी दोनों जिम्मेदार हैं।
अगर पत्नी में कोई गंभीर दोष है, तो न केवल दंपति के जीवन में आग लग जाती है, बल्कि परिवार को भी नुकसान होता है। चाणक्य ने बताया है कि अगर पत्नी में ये कमियां हैं, तो उसे त्याग देना बेहतर है, भले ही उसे प्यार का त्याग करना पड़े।
अभद्र भाषा
चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार, कड़वी बात करने वाली पत्नी को छोड़ना बेहतर है, क्योंकि एक बुरी बात एक हथियार से ज्यादा दर्द देती है। ऐसी महिलाएं बिना सोचे समझे बेकार की बातें करती हैं, उन्हें दूसरों की भावनाओं की भी परवाह नहीं होती। अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाली पत्नी परिवार की छवि को धूमिल करती है।
अगर पत्नी में कोई गंभीर दोष है, तो न केवल दंपति के जीवन में आग लग जाती है, बल्कि परिवार को भी नुकसान होता है। चाणक्य ने बताया है कि अगर पत्नी में ये कमियां हैं, तो उसे त्याग देना बेहतर है, भले ही उसे प्यार का त्याग करना पड़े।
अभद्र भाषा
चाणक्य के सिद्धांत के अनुसार, कड़वी बात करने वाली पत्नी को छोड़ना बेहतर है, क्योंकि एक बुरी बात एक हथियार से ज्यादा दर्द देती है। ऐसी महिलाएं बिना सोचे समझे बेकार की बातें करती हैं, उन्हें दूसरों की भावनाओं की भी परवाह नहीं होती। अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाली पत्नी परिवार की छवि को धूमिल करती है।
क्रोध में लिप्त
क्रोध हमेशा काम पूरा कर देता है। चाणक्य के अनुसार, क्रोध में लिप्त व्यक्ति सही और गलत के बीच अंतर करना भूल जाता है और ऐसी स्थिति में वह दूसरों को असहनीय पीड़ा देता है। यही कारण है कि परिवार की खातिर गुस्से में पत्नी को छोड़ना अच्छा है, क्योंकि ऐसे संबंधों में कभी खुशी नहीं आ सकती।
"सांवर्या या सुचिक्षास-भार्या या पतिव्रता। सच्चा प्यार या सच्चा प्यार। "।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि एक आदर्श पत्नी वह है जो मन, वचन और कर्म में शुद्ध हो। जिसका आचरण अच्छा है, जो ससुराल वालों को अपना मानता है, उसे कुशल गृहिणी कहा जाता है।
क्रोध हमेशा काम पूरा कर देता है। चाणक्य के अनुसार, क्रोध में लिप्त व्यक्ति सही और गलत के बीच अंतर करना भूल जाता है और ऐसी स्थिति में वह दूसरों को असहनीय पीड़ा देता है। यही कारण है कि परिवार की खातिर गुस्से में पत्नी को छोड़ना अच्छा है, क्योंकि ऐसे संबंधों में कभी खुशी नहीं आ सकती।
"सांवर्या या सुचिक्षास-भार्या या पतिव्रता। सच्चा प्यार या सच्चा प्यार। "।
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि एक आदर्श पत्नी वह है जो मन, वचन और कर्म में शुद्ध हो। जिसका आचरण अच्छा है, जो ससुराल वालों को अपना मानता है, उसे कुशल गृहिणी कहा जाता है।