Do You Know: चाय के शौकीनों की दुनिया भर में कमी नहीं है. इस पेय को लेकर कुछ लोगों की दीवानगी तो इतनी होती है कि वो दिन में कितने भी कप चाय पी सकते हैं और गिनते भी नहीं हैं. क्या आपने कभी ये सोचा है
एक प्याला चाय की ताज़गी का मुकाबला कोई भी ड्रिंक नहीं कर सकता. भारत में चाय को लाने का श्रेय भले ही अंग्रेज़ों को जाता हो, लेकिन भारतीयों की लाइफस्टाइल में ये इस तरह से रची-बसी है कि इसे कोई अलग कर ही नहीं करता
हिंदी भाषा में बहुत से शब्द ऐसे हैं, जिनके बारे में हम ये नहीं जानते हैं कि वो दूसरी भाषाओं से लिए गए हैं. इनमें कुछ सामान और कुछ खाने-पीने की चीज़ें भी हैं, जिन्हें हम वैसा का वैसा इस्तेमाल करते हैं.
ज्यादातर लोगों को लगता है कि चाय का आविष्कार भारत में ही हुआ है. हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. 'चाय' और 'टी' दो ही शब्द हैं, जो इस खास पेय को डिफाइन करते हैं. इन दोनों शब्द एक ही भाषा से आए हैं, जिन्हें दुनिया भर में इस पॉपुलर पेय के लिए इस्तेमाल किया गया.
ये मूल रूप में चीन में बोली जाने वाली मंडेरियन भाषा का शब्द है. इस चीन में "cha (茶)" कहते हैं. ये कोरिया और जापान में भी ऐसे ही कहा गया और जहां भी ये शब्द पहुंचा
चाय को पारसी में "Chaye" कहा जाता है, जो उर्दू में चाय बन गया. अरबी में इसे 'Shay', रूसी में "Chay"स्वाहिली भाषा में इसे 'Chai' कहते हैं. इसी तरह Tea को भी अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है.
तो जवाब ये है कि चाय को हिंदी में ‘दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी’ कहा जाता है. इसे संस्कृतनिष्ठ हिंदी में ऊष्णोदक भी कह सकते हैं.
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