शानदार, प्रभावशाली, ज़िंदाबाद...अंतरिक्ष में हम अकेले सिकंदर हैं, तमाम मुश्किलों को पार कर चाँद तक पहुँचे
भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है, जहां दुनिया की महाशक्तियां नहीं पहुंच सकीं। भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लगा हुआ है। भारत का तिरंगा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर फहराया जाता है। आज की तारीख दुनिया में इतिहास बन गई है. भारत ने कहा है कि भारत अंतरिक्ष का सिकंदर है, अब चांद हमारा है
Aug 24, 2023, 07:43 IST
हिंदुस्तान ने इतिहास रच दिया है. दुनिया के तमाम बड़े देश जो नहीं कर पाए, वो सफलता हिंदुस्तान ने हासिल की है. भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है. हिंदुस्तान ने बता दिया है कि अंतरिक्ष के सिकंदर हम ही हैं. पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न छप गया है. पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का तिरंगा लहराया है
23 अगस्त 2023 की तारीख दुनिया के कैलेंडर में इतिहास के तौर पर दर्ज हो चुकी है. इसरो की इस महान उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है. पूरा देश उत्सव मना रहा है. देख का हर एक नागरिक उल्लास में है, क्योंकि ये उपलब्धि बहुत बड़ी है
लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साउथ अफ्रीका से संबोधन में कहा कि देश अब चंद्रपथ पर चल चुका है. बच्चे अब ये नहीं कहेंगे कि चंदा मामा दूर के, वो अब कहेंगे चंदा मामा अब टूर के. इतनी बड़ी सफलता पर अब देश में महोत्सव हो रहा है
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में सबकी निगाहें अंतरिक्ष में अटकी हुईं थीं. लोग दम साधे हुए देख रहे थे कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह को चूम रहा है. जैसे ही विक्रम ने चांद की जमीन पर लैंडिंग की, वैसे ही देश खुशियों से झूम उठा. श्रीहरिकोटा से हरिद्वार तक जश्न ही जश्न मनाया जाने लगा. बधाइयों का तांता लग गया, क्योंकि हिंदुस्तान ने वो कर दिखाया, जो अमेरिका, रूस और चीन जैसे शक्तिशाली देश नहीं कर पाए
सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक में महारथ हासिल करने वाला देश अब भारत
भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. विक्रम की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक में महारथ पाने भारत चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ही ये उपलब्धि हासिल कर सके थे
चांद पर विक्रम लैंड हुआ और थोड़े इंतजार के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकला. इसी प्रज्ञान के जरिए चंद्रमा के रहस्य खुलेंगे. प्रज्ञान ने ही चांद की सतह पर हिंदुस्तान का राष्ट्रीय चिह्न छाप दिया. भारत ने चंद्रक्रांति कर दी है. आज भारत का दम दुनिया देख रही है और भारत के वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है
भारत और अमेरिका के बीच हुआ था ये समझौता
अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च या किसी भी प्रयोग में भारत अब कई मायनों में अमेरिका, रूस और चीन से भी आगे निकलता दिख रहा है. इसी साल जून में पीएम मोदी जब अमेरिका के पहले राजकीय दौरे पर गए थे, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बड़ा समझौता हुआ था
भारत ने आर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया था, जिसके तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त स्पेस मिशन पर सहमत हुए हैं. अब दुनिया की महाशक्ति अमेरिका और विश्वगुरु भारत दोनों एक साथ मिलकर अंतरिक्ष की पहेलियां सुलझाएंगे
इंडिया स्पेस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने की थी ये घोषणा
इंडियन स्पेस एसोसिएशन की पहली सालगिरह के मौके पर दिल्ली में इंडिया स्पेस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि साल 2025 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार 1,280 करोड़ डॉलर यानी करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. इसमें बड़ी संख्या में उपग्रहों के प्रक्षेपण और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की अहम भूमिका होगी
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय इतिहास का वो गर्व का पल
अंतरिक्ष में भारत की उड़ान को लगातार पंख लग रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय इतिहास का सबसे गर्व का पल वो रहा, जब 3 अप्रैल 1984 को भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने इतिहास रचा. राकेश शर्मा सोवियत संघ के सेल्युत यान से अंतरिक्ष में पहुंचे थे
भारतीय वायुसेना में पायलट राकेश शर्मा को सितंबर 1982 में अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया था, जो एक इसरो और सोवियत इंटरकोसमोस स्पेस कार्यक्रम का संयुक्त कार्यक्रम था. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट का समय बिताया था
तत्कालीन प्रधानमंत्री से पहले अंतरिक्ष यात्री ने क्या कहा था?
पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा था... सारे जहां से अच्छा. जो वैज्ञानिक उस समय मौजूद थे, वो आज भी वो लम्हा यादकर रोमांचित हो उठते हैं. वैज्ञानिक ओपी गुप्ता ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत के नाम जो उपलब्धियां हैं, उनकी लंबी फेहरिस्त है. अब भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा के यशगान अंतरिक्ष में भी गूंज रहे हैं
23 अगस्त 2023 की तारीख दुनिया के कैलेंडर में इतिहास के तौर पर दर्ज हो चुकी है. इसरो की इस महान उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है. पूरा देश उत्सव मना रहा है. देख का हर एक नागरिक उल्लास में है, क्योंकि ये उपलब्धि बहुत बड़ी है
लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साउथ अफ्रीका से संबोधन में कहा कि देश अब चंद्रपथ पर चल चुका है. बच्चे अब ये नहीं कहेंगे कि चंदा मामा दूर के, वो अब कहेंगे चंदा मामा अब टूर के. इतनी बड़ी सफलता पर अब देश में महोत्सव हो रहा है
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में सबकी निगाहें अंतरिक्ष में अटकी हुईं थीं. लोग दम साधे हुए देख रहे थे कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह को चूम रहा है. जैसे ही विक्रम ने चांद की जमीन पर लैंडिंग की, वैसे ही देश खुशियों से झूम उठा. श्रीहरिकोटा से हरिद्वार तक जश्न ही जश्न मनाया जाने लगा. बधाइयों का तांता लग गया, क्योंकि हिंदुस्तान ने वो कर दिखाया, जो अमेरिका, रूस और चीन जैसे शक्तिशाली देश नहीं कर पाए
सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक में महारथ हासिल करने वाला देश अब भारत
भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. विक्रम की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक में महारथ पाने भारत चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ही ये उपलब्धि हासिल कर सके थे
चांद पर विक्रम लैंड हुआ और थोड़े इंतजार के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर निकला. इसी प्रज्ञान के जरिए चंद्रमा के रहस्य खुलेंगे. प्रज्ञान ने ही चांद की सतह पर हिंदुस्तान का राष्ट्रीय चिह्न छाप दिया. भारत ने चंद्रक्रांति कर दी है. आज भारत का दम दुनिया देख रही है और भारत के वैज्ञानिकों का लोहा मान रही है
भारत और अमेरिका के बीच हुआ था ये समझौता
अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च या किसी भी प्रयोग में भारत अब कई मायनों में अमेरिका, रूस और चीन से भी आगे निकलता दिख रहा है. इसी साल जून में पीएम मोदी जब अमेरिका के पहले राजकीय दौरे पर गए थे, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बड़ा समझौता हुआ था
भारत ने आर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसला किया था, जिसके तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त स्पेस मिशन पर सहमत हुए हैं. अब दुनिया की महाशक्ति अमेरिका और विश्वगुरु भारत दोनों एक साथ मिलकर अंतरिक्ष की पहेलियां सुलझाएंगे
इंडिया स्पेस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री ने की थी ये घोषणा
इंडियन स्पेस एसोसिएशन की पहली सालगिरह के मौके पर दिल्ली में इंडिया स्पेस सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि साल 2025 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार 1,280 करोड़ डॉलर यानी करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. इसमें बड़ी संख्या में उपग्रहों के प्रक्षेपण और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की अहम भूमिका होगी
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय इतिहास का वो गर्व का पल
अंतरिक्ष में भारत की उड़ान को लगातार पंख लग रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय इतिहास का सबसे गर्व का पल वो रहा, जब 3 अप्रैल 1984 को भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने इतिहास रचा. राकेश शर्मा सोवियत संघ के सेल्युत यान से अंतरिक्ष में पहुंचे थे
भारतीय वायुसेना में पायलट राकेश शर्मा को सितंबर 1982 में अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया था, जो एक इसरो और सोवियत इंटरकोसमोस स्पेस कार्यक्रम का संयुक्त कार्यक्रम था. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट का समय बिताया था
तत्कालीन प्रधानमंत्री से पहले अंतरिक्ष यात्री ने क्या कहा था?
पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लग रहा है तो उन्होंने कहा था... सारे जहां से अच्छा. जो वैज्ञानिक उस समय मौजूद थे, वो आज भी वो लम्हा यादकर रोमांचित हो उठते हैं. वैज्ञानिक ओपी गुप्ता ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत के नाम जो उपलब्धियां हैं, उनकी लंबी फेहरिस्त है. अब भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा के यशगान अंतरिक्ष में भी गूंज रहे हैं