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साइबर अपराध से बचने के लिए क्या करें हम आपके साथ कुछ उपाय सांझा कर रहे हैं पढ़ें

What to do to avoid cyber crime? We are sharing some solutions with you. Read
 
CYBER CRIME

दुनिया पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है और डिजिटल हो चुकी है। समय व बदलती टेक्नोलाजी के साथ हमको बदलना होगा। अगर हम नई टेक्नोलाजी के साथ नहीं बदले तो साइबर अपराधी गैरकानूनी तरीके से हमारे साथ अपराध करते रहेंगे। ये बातें डीजीपी अशोक कुमार ने छात्र संवाद कार्यक्रम के दौरान कहीं। शनिवार को एमबीपीजी कॉलेज में डीजीपी अशोक कुमार ने साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती, इससे बचाव व ड्रग्स विषय पर छात्र-छात्राओं से संवाद किया।


उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति एंड्रायड मोबाइल का उपयोग करता है और करीब 30 प्रतिशत लोग कंप्यूटर और लैपटाप का उपयोग अपने निजी कार्य या आफिस कार्य के लिए करते हैं, जो एक अच्छी बात है, मगर क्या कभी सोचा है कि हम इंटरनेट के जरिए मोबाइल और कंप्यूटर चलाते समय सुरक्षित हैं। उसको चलाना आसान है, लेकिन सुरक्षा करना बहुत जरूरी होता है।


ऐसा कोई काम न करें, जिसके बारे में पूरी जानकारी न हो। ठगी होने के 24 घंटे बाद तक पैसे वापस आने की संभावना रहती है। इसलिए साइबर पुलिस को सूचना दें। इसी तरह नशे से दूर रहना होगा। नशा भविष्य को बर्बाद करता है। संवाद कार्यक्रम का संचालन बनभूलपुरा थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी ने किया। इस मौके पर आइजी कुमाऊं डा. नीलेश आनंद भरणे, एसएसपी पंकज भट्ट, एसपी क्राइम डा. जगदीश चंद्र, एसपी सिटी हरबंस सिंह, सीओ सिटी भूपेंद्र सिंह धोनी आदि मौजूद रहे।

साइबर अपराध को रोकने के ये उपाय बताए

कंप्यूटर में एंटी वायरस साफ्टवेयर स्थापित करने चाहिए।

- अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी संदिग्ध या अजनबियों को कभी न दें।

- फेसबुक, इंस्टाग्राम व जीमेल पर मजबूत पासवर्ड विकसित करने चाहिए।

- बच्चों पर नजर रखें और उनके द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल को सीमित रखें।

- समय-समय पर फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब की सुरक्षा सेटिंग्स की जांच करें।


सार्वजनिक वाई-फाई हाटस्पाट का उपयोग करते समय सचेत रहना चाहिए।

- वाई-फाई व हाटस्पाट के उपयोग से वित्तीय लेन-देन के संचालन से बचें।

- एक लिंक या अज्ञात मूल के फाइल पर क्लिक करने से पहले सत्यता जांचे।

- किसी भी तरह का साइबर अपराध होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।


इस तरह से होता है साइबर अपराध

डीजीपी ने बताया कि साइबर अपराधी इंटरनेट और तकनीक की मदद से उपयोगकर्ता के निजी कंप्यूटर, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया से व्यक्तिगत विवरण, व्यावसायिक रहस्य, राष्ट्रीय रहस्य, महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा आदि को हैक कर लेते हैं। हैकर्स वे अपराधी हैं जो इंटरनेट पर इन अवैध, दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि कुछ एजेंसियां इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यह लगातार बढ़ रही है और कई लोग पहचान की चोरी, हैकिंग और दुर्भावनापूर्ण साफ्टवेयर के शिकार बन गए हैं।

जहां ज्यादा पैसा, वहीं से होता अपराध

बड़ी रकम कमाने के लिए साइबर अपराधी आसान रास्ता चुनते हैं। बैंक, कैसिनो, कंपनियां व समृद्ध संगठन पर नजर रखते हैं। जहां प्रतिदिन भारी मात्रा में पैसा चलता है। साइबर अपराधियों को अपनी कमजोरी से रूबरू न होने दें।

साइबर अपराध से बचने को पढ़ें साइबर एनकाउंटर पुस्तक

डीजीपी अशोक कुमार की साइबर एनकाउंटर पुस्तक साइबर क्राइम की वारदातों और उनके खुलासे पर आधारित है। इस पुस्तक में उन्होंने 12 सच्ची वारदातें दर्शाई हैं। कहानी के अंत में बताया है कि साइबर अपराध से कैसे बचा जा सकता है। छात्र-छात्राओं से संवाद में डीजीपी ने पुस्तक की एक कहानी बताई, जिसमें एक अंजान महिला ने हनी ट्रैप करके एक व्यक्ति से 97 लाख रुपये ठग लिए। व्यक्ति ने फेसबुक पर महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार किया और फिर उसके जाल में फंस कर मोटी कमाई खत्म कर दी थी।


इस कहानी में यह बताने का प्रयास है कि यदि अंजान व्यक्ति के फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं की होती तो साइबर अपराध से बचा जा सकता था।

सवाल- 1

सर! मैं एमबीपीजी कॉलेज की छात्रा हूं। अगर कोई युवती साइबर ठगों के जाल में फंस चुकी है तो उसे क्या करना चाहिए?

जवाब : अपराध होने पर घबराएं नहीं। तुरंत डायल 1930 पर कॉल करने के साथ ही नजदीकी साइबर सेल व थाने पर जाएं। इस बात को अपने स्वजनों के साथ भी अवश्य साझा करें। वह आपको सही राय देंगे।

सवाल-2

सर, मैं बीएससी का छात्र हूं। कई बार केबीसी से फोन आता है और बैंक का लालच देकर फंसा दिया जाता है?

जवाब : जब आपने केबीसी के लिए अप्लाई नहीं किया है तो फिर फोन कैसा। यह ठगों का कॉल होता है। बैंक कभी किसी को कॉल नहीं करता है। इसलिए कोई कॉल आए तो सत्यता जांचें।

सवाल-3

पैसा डबल करने के लालच में कॉल आते हैं। नंबर ब्लाक करने पर नए नंबर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में क्या करें।

जवाब : पैसा डबल करने का लालच आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। इससे बचें और बार-बार कॉल आ रहा है तो पुलिस की मदद लें। सवाल-4 साइबर अपराध की आनलाइन शिकायत भी की जा सकती है। कई बार ट्रोल फ्री नंबर नहीं मिलता है। जवाब : हां, साइबर अपराध की आनलाइन शिकायत की जाती है। नेटवर्क की दिक्कत के कारण कई बार नंबर नहीं मिलता है